
नई दिल्ली। देशभर में कोरोना संकट पहले से ज्यादा गहरा गया है। अब इसका असर सुप्रीम कोर्ट के कामकाज पर भी दिखाई देने लगा है। कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्री ऑफ़िस 15 अप्रैल तक बंद रहेंगे। हालांकि शीर्ष अदालत ने प्रोटोकॉल से जुड़े विभागों को बंद से अलख रखने का आदेश दिया है।
सर्वोच्च अदालत ने कोर्ट मास्टरों की फाइलिंग और लिस्टिंग से निपटने के लिए प्रोटोकॉल, केयरिंग सेक्शन, कंप्यूटर और न्यायिक सेक्शन सामान्य रूप से कार्य करते रहेंगे। कोर्ट 15 अप्रैल, 2020 तक उसी नियम और शर्तों पर बंद रहना जारी रहेगा जैसा कि पहले अधिसूचित आदेश दिनांक 22 मार्च, 2020 को अधिसूचित किया गया था।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने ईरान के कोम शहर से सभी फंसे हुए भारतीय शिया तीर्थयात्रियों को तुरंत बाहर निकालने और उन्हें संभव चिकित्सा सहायता प्रदान करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई और इसके बाद कोर्ट ने नोटिस जारी किया।
दूसरी तरफ कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन के मद्देनजर देश में वित्तीय आपातकाल लागू कराने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि लॉकडाउन की वजह से देश में आर्थिक गतिविधियां ठहर गई हैं। कोविड-19 के कारण उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए विभिन्न अधिकारी कई कदम उठा रहे हैं जिससे घबराहट पैदा हो गई है। इसलिए संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपातकाल लागू करने की जरूरत है।
बता दें कि पीएम मोदी ने कोरोना वायरस के प्रसार से निपटने के लिए पूरे देश में 21 दिनों के तालाबंदी की घोषणा करते हुए कहा था कि कि सोशल डिस्टेंसिंग बीमारी से निपटने का एकमात्र विकल्प है।
Updated on:
29 Mar 2020 12:00 am
Published on:
28 Mar 2020 11:58 pm
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