खतरनाक चुक्रवाती तूफान ‘तौकते’ ( Tauktae ) के 18 मई तक गुजरात तट को पार करने की संभावना जताई गई है। चक्रवाती तूफान के बीच NDRF ने कई राज्यों में 24 टीमें तैनात कर दी गई है और 29 टीमों को स्टैंडबाय पर रखा है।
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रूसी कोरोना वैक्सीन Sputnik V की कीमतों का हुआ ऐलान, जानिए एक डोज के लिए कितने चुकाने होंगे दाम भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक अरब सागर के ऊपर बना कम दबाव का क्षेत्र शनिवार के बाद 24 घंटे के भीतर यह चक्रवाती तूफान में तब्दील हो सकता है। 16 से 19 मई के बीच यह भयंकर तूफान का रूप लेकर भारी बर्बादी कर सकता है।
यह तूफान 18 मई को भारतीय तटों से टकराने की आशंका है। सबसे पहले इसके गुजरात के तटीय इलाकों से टकराने के आसार हैं। इससे पहले लक्षद्वीप में 15 मई को भारी बारिश की आशंका है।
दिल्ली-एनसीआर में तेज हवाओं के साथ बारिश के आसार
मौसम विभाग के मुताबिक शनिवार को दिल्ली, फारुखनगर, मटनहेल, झज्जर, सोहाना, पलवल, होडल, मानेसर, गुरुग्राम, फरीदाबाद, तिजारा के कई स्थानों पर 20-40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने के साथ हल्की से मध्यम तीव्रता के साथ बारिश के आसार बने हुए हैं।
भारतीय नौसेना ने राज्य प्रशासन को उनके समर्थन का आश्वासन दिया है। नौसेना ने जहाज, विमान, हेलीकॉप्टर, गोताखोरी और आपदा राहत दलों को सुरक्षा के लिहाज से तैनात भी कर दिया है। इन पांच राज्यों पर पड़ेगा सीधा असर
इस दौरान पांच राज्यों में सबसे ज्यादा असर पड़ने के आसार हैं। इनमें केरल, कर्नाटक के तटीय क्षेत्र, गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा प्रमुख रूप से शामिल हैं।
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मोदी सरकार का तोहफा, इन 5 दिन तक मिलेगा शुद्ध और सस्ता सोना खरीदने का मौका तमिलनाडु के तटीय इलाकों में हल्की और भारी बारिश हो सकती है। कर्नाटक में 15 और 16 मई को हल्की और भारी बारिश की चेतावनी दी गई है।
इसी दौरान कोंकण के तटीय इलाकों और गोवा में भारी बारिश हो सकती है। जबकि गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ इलाके में 17 और 18 मई को भारी बारिश और तेज हवाएं चल सकती हैं।
तूफान के चलते गोवा और दक्षिण कोंकण क्षेत्र में कुछ स्थानों पर भारी बारिश का अनुमान है।
175 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चल सकती है हवा
मौसम विभाग ने आशंका जाहिर की है कि तूफान आने से पहले और इसके दौरान देश के तटवर्ती इलाकों में 175 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं। इसके साथ ही तेज बारिश के भी आसार हैं। सभी राज्य सरकारों और लक्षद्वीप के प्रशासन को राहत और बचाव के उपाय करने के लिए कहा गया है।