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पिता की जिंदगी बचाने के लिए पूरा परिवार बना ढाल, मौत के छूटे पसीने

जैसे मां-बाप का फर्ज हमारे प्रति है वैसे ही उनके लिए कुछ फर्ज हमारे भी बनते हैं

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नई दिल्ली। मां-बाप का फर्ज है हमारी चिंता करना वो हमारी छोटी से छोटी तकलीफ से व्याकुल हो जाते हैं लेकिन कभी हमने उनके बारे में ऐसी ही चिंता की? जैसे मां-बाप का फर्ज हमारे प्रति है वैसे ही उनके लिए कुछ फर्ज हमारे भी बनते हैं हम उनसे ऊपर तो नहीं हो सकते लेकिन उनके लिए कुछ ऐसा तो कर सकते हैं जो हमारे बस में हो। हम उनसे प्यार तो करते हैं लेकिन सवाल यह है कि हम जताते हैं या नहीं? आज हम ऐसी लड़की के बारे में बात कर रहे हैं, जिसने अपने पिता से इस तरह प्यार जताया कि लोगों के दिलों में घर कर गई।

पूजा श्रीराम बिजनानी नाम की इस लड़की के पिता पीलिया से पीड़ित थे। हालांकि हमेशा से वह एक स्वस्थ जीवन जीते आ रहे थे, लेकिन वो कहावत तो आप जानते ही होने दुख बताकर नहीं आती। पीलिया के लक्षण निकलने के बाद उन्हें उच्च चिकित्सा देने के लिए घर वालों ने तीन अस्पताल भी बदलकर देख लिए लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी। जांच की गई तो पाता चला कि पूजा के पिता लीवर सिरोसिस से ग्रसित हैं।

आपको बता दें सिरोसिस लीवर कैंसर के बाद सबसे गंभीर बीमारी है, इस बीमारी का इलाज लीवर प्रत्यारोपण के अलावा और कोई नहीं है। पूजा का परिवार वह दिन आज भी याद करता है तो उनके आंसू चालक पड़ते हैं। पूजा उन दिनों को याद करते हुए बताती हैं कि 'कैसे उनके पैर में सूजन शुरू हो जाती थी और उनकी त्वचा काफी गहरा हो जाती है'। इस परिवार के लिए ये बड़ी ही मुश्किल घड़ी थी लेकिन कैसे इस परिवार ने खुद को इकट्ठा कर अपने परिवार पर आए इस दुख को हरा दिया। पूजा और उनके भाई-बहनों को पाता था की उनके पिता को बचाना उनके हाथ में था।

पूजा और उनके सभी भाई-बहनों ने अपने लीवर को अपने पिता को देने की स्वेच्छा दिखाई। हालांकि, उनकी मां भी अपन एक लीवर देना चाहती थीं लेकिन उनके बच्चे उससे सहमत नहीं हुए। लगभग 15 परीक्षण करने के बाद पाता चला कि पूजा ही अपना लीवर दान कर सकती हैं औरउनका लीवर प्रत्यारोपण के योग्य है। परिवारवालों की इस कदम के बारे में उनके पिता को कुछ पता नहीं था। उन्हें सर्जरी के बाद इस त्याग का पता चला।

पूजा बताती हैं 'सर्जरी के बाद उन्होंने मुझे देखा और एक बड़ी सी मुस्कान दी उनकी आखों में वो तेज फिर देखकर मानों मुझे मेरा जहान मिल गया हो'। इस परिवार की ये कहानी हमें यह बताती है कि हमें हमेशा हमारे माता-पिता को अपना प्यार, स्नेह दिखाने का मौका नहीं मिलता लेकिन जब भी मिलता है हमें उसे गवांना नहीं चाहिए।