
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल
नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस फैसले से महिलाओं को समाज में बराबरी का हक दिलाने में एक महत्वपूर्ण कदम शाबित हो सकता है। अदालत ने व्याभिचार को गैर आपराधिक घोषित कर दिया है। इधर कोर्ट के इस फैसले पर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने असहमति और दुख जताया है। उन्होंने गुरुवार को एक विज्ञप्ति जारी करते हुए इस फैसले पर पुनर्विचार करने की वकालत की है। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा है कि व्यभिचार को गैर आपराधिक घोषित करके सुप्रीम कोर्ट ने इस देश के लोगों को शादी से बाहर अवैध सम्बन्ध रखने की खुली छूट दे दी है। मालीवाल ने आगे कहा कि माननीय कोर्ट को अवैध संबंधों को बिना लिंगभेद के महिला और पुरुष दोनों के लिए आपराधिक करना चाहिए था। लेकिन इसकी जगह पर व्यभिचार को ही गैर आपराधिक घोषित कर दिया।
आयोग के पास आती हैं हजारों शिकायतें
आपको बता दें कि स्वाति मालीवाल ने कहा कि महिला आयोग के पास ऐसी हजारों शिकायतें आती है जिनमें उनके पतियों के शादी से बाहर अवैध संबंध हैं। कई ने तो अपनी पत्नी को भी छोड़ दिया है। ये महिलाएं अब अपने पति के सहारे के बिना खुद का और अपने बच्चों का पेट पालने के लिए अकेले छोड़ दी जाती हैं। मालीवाल ने कहा कि पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं के ऊपर अधिकार के भाव की वजह से पुरुष खराब वैवाहिक संबंधों के लिए महिलाओं को जिम्मेदार ठहराते हैं। लेकिन अब सर्वोच्च अदालत की ओर से व्यभिचार को गैरआपराधिक घोषित करना महिलाओं के दर्द को और ज्यादा बढ़ावा दिया है। उन्होंने इस फैसले का समर्थन करने वाले लोगों से अपील की है कि वो एक बार आयोग में आकर इन महिलाओं से मिलें और इनसे बात करें।
सर्वे के जरिए किया जाएगा अध्ययन
आपको बता दें कि स्वाति मालीवाल ने कहा कि ऐसे मामलों को लेकर एक सर्वे शुरू किया गया है, जिसमें अवैध संबंधों की वजह से पतियों द्वारा छोड़ी गई महिलाओं की परेशानियों और उन पर पड़ने वाले कोर्ट के फैसले का अध्ययन किया जाएगा। इस बाबत आयोग ने आम लोगों से राय मांगी है और एक मेल आईडी दी है जिसमें अपनी प्रतिक्रिया देने की अपील की है। मालीवाल ने कहा कि कोई भी livingpositive@gmail.com पर अपनी राय दे सकता है।
Published on:
27 Sept 2018 08:41 pm
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