…ऐसे बदला था दिल्ली सरकार का फैसला – 17 अक्टूबर 2017 को दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए स्कूलों को 7.5 फीसदी से 15 फीसदी तक फीस बढ़ाने की इजाजत दी थी।
– 13 अप्रैल 2018 को सरकार ने एक आदेश जारी किया और अपने पिछले आदेश को वापस ले लिया। इस दौरान कहा गया कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के नाम पर फीस ना बढ़ाएं। साथ ही यदि किसी ने पिछले आदेश के बाद फीस बढ़ाई है, तो उसे लौटाना होगा।
– शिक्षा निदेशालय ने फीस बढ़ोतरी के लिए मिले ऑनलाइन प्रस्तावों को 15 दिनों में वापस लेने के लिए कहा था। इसमें कहा गया कि सातवें वेतन आयोग को लागू करने के लिए फीस बढ़ाने की जरूरत नहीं है।
निजी स्कूलों ने ऐसे रखा अपना पक्ष दिल्ली सरकार की इस आदेश वापसी को निजी स्कूलों ने कोर्ट में चुनौती दी थी। स्कूलों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने में देरी हुई तो कई शिक्षक नौकरी छोड़ सकते हैं। करीब 450 निजी स्कूलों की एक्शन कमिटी की इस याचिका में दिल्ली सरकार के दोनों आदेशों का जिक्र किया गया। कमेटी के वकील ने आरोप लगाया कि सरकार राजनीतिक लाभ के इरादे से स्कूलों को इस तरह से परेशान कर रही है।