scriptCoronavirus: मरीजों की सेवा में जुटे डॉक्टरों का हाल, हर राज्य में वेतन के मामले में झोलझाल | Doctors in UP, Delhi paid most while Maharashtra inters among worst | Patrika News

Coronavirus: मरीजों की सेवा में जुटे डॉक्टरों का हाल, हर राज्य में वेतन के मामले में झोलझाल

locationनई दिल्लीPublished: Jun 08, 2020 11:04:58 am

Delhi, UP, Bihar में रेजीडेंट्स को मिलता है सर्वाधिक वेतन।
Maharashtra में Inters को मिलता है सबसे कम Stipend
PG Level पर Residents को मिलने वाले वेतन हर जगह अलग।

 

doctos salary in Indian states

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नई दिल्ली। दिल्ली ( Delhi ), उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) और बिहार ( Bihar ) के रेजीडेंट ( residents ) डॉक्टरों यानी ऐसे चिकित्सक ( Doctors ) जो एमबीबीएस ( MBBS ) के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे हैं को देश में सबसे ज्यादा तनख्वाह ( Salary ) मिलती है। जबकि छत्तीसगढ़ ( Chhattisgarh ), झारखंड ( Jharkhand ), गुजरात ( Gujarat ) और हरियाणा ( Haryana ) में भी सरकारी अस्पतालों ( Government Hospitals ) में विभिन्न स्तरों पर डॉक्टरों को अच्छा भुगतान किया जाता है। जबकि इंटर्न यानी एमबीबीएस पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष वालों को हाल ही में बढ़ोतरी के बाद भी सबसे खराब भुगतान करने वालों में से महाराष्ट्र एक हैं।
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अगर बात करें विशेषज्ञों यानी सुपरस्पेशिएलिटी कोर्स करने वाले सीनियर रेजीडेंट्स की तो छत्तीसगढ़, हरियाणा और यूपी के ग्रामीण हिस्सों में इनकी तनख्वाह बेहतर है। यहां वे महाराष्ट्र की तुलना में एक महीने में 1 से डेढ़ लाख रुपये कमाते हैं, जबकि महाराष्ट्र में उन्हें औसतन 59,000 रुपये मिलते हैं।
ऐसे समय में जब देश भर के रेजिडेंट डॉक्टर कोरोना वायरस ( coronavirus ) मरीजों के इलाज में सबसे आगे जुटे हुए हैं, उन्हें मिलने वाला वेतन इस पर निर्भर करता है कि वे किस प्रदेश में रह रहे हैं। छत्तीसगढ़ डॉक्टरों को सबसे अधिक भुगतान करता है। यूपी, बिहार, झारखंड, हरियाणा सभी एक महीने में 80 हजार से 1 लाख रुपये का भुगतान करते हैं। जबकि महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्यों 40,000 से 60,000 रुपये का मासिक वेतन दिया जाता है।
डॉक्टर
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया देश भर में एमबीबीएस के बाद एक समान स्टाइपेंड दिए जाने की योजना बना रही है, लेकिन सभी राज्यों द्वारा इस योजना को मंजूरी दिया जाना बाकी है।

केंद्रीय सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में तैनात किए गए इंटर्न को सबसे अधिक 23,500 रुपये प्रति माह का भुगतान किया जाता है। भारत में संचालित प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में उनका स्टाइपेंड राजस्थान में सबसे कम मात्र 7,000 रुपये है, तो कर्नाटक में सबसे अधिक 30 हजार रुपये है। मेडिकल इंटर्न ऐसे छात्र होते, जिन्होंने एक मेडिकल स्कूल में साढ़े चार साल पूरे किए हैं और एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करने से पहले मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पताल में अपनी आवासीय इंटर्नशिप करते हैं।
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जबकि महाराष्ट्र में इंटर्न को 6,000 रुपये स्टाइपेंड मिलता है। हाल ही में राज्य सरकार ने इसे बढ़ाकर 11,000 रुपये कर दिया था। लेकिन मुंबई के बीएमसी अस्पतालों में इस बढ़ोतरी को दिया जाना बाकी है। राज्य के रेजीडेंट्स और सीनियर रेजीडेंट्स को औसतन तीन साल में क्रमशः 54 हजार और 59 हजार रुपये मिलते हैं।
कोरोना वायरस टेस्टिंग
बीएमसी ने हाल ही में कोरोना वार्डों में तैनात एमबीबीएस इंटर्न के लिए 50,000 रुपये के अस्थायी स्टाइपेंड की घोषणा की थी। महाराष्ट्र में चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान निदेशालय के प्रमुख डॉ. टीपी. लहाणे ने कहा कि रेजीडेंट्स के लिए 10,000 रुपये की स्थायी बढ़ोतरी की उम्मीद है।
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स्नातकोत्तर स्तर पर प्रत्येक राज्य में हर साल के रेजीडेंट्स के लिए स्टाइपेंड अलग होता है। कुछ राज्यों में नए डॉक्टर्स को लुभाने के लिए कई स्टाइपेंड हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रेजीडेंट्स को दिया जाने वाला स्टाइपेंड शहर की तुलना में ज्यादा है। जैसे छत्तीसगढ़ में ग्रामीण क्षेत्रों में रेजीडेंट्स को शहरी क्षेत्रों के डॉक्टर्स की तुलना में 20,000-30,000 रुपये ज्यादा दिए जाते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार, यूपी, छत्तीसगढ़ और झारखंड सरकारी डॉक्टरों को बहुत अधिक वेतन देते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन राज्यों में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा नेटवर्क पर निर्भरता महाराष्ट्र, तमिलनाडु या कर्नाटक की तुलना में ज्यादा है। इनमें चैरिटेबल ट्रस्टों और और निजी चिकित्सकों द्वारा संचालित अस्पताल ज्यादा हैं।
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