
केंद्र सरकार के मुताबिक ईआईए 2020 मसौदे पर अमल से विकास को बढ़ावा मिलेगा।
नई दिल्ली। जब से केंद्र सरकार ( Central Government ) ने पर्यावरण प्रभाव आकलन-2000 मसौदा ( Environment Impact Assessment 2020 ) जारी किया, तभी से इसका विरोध भी जारी है। दिल्ली हाईकोर्ट में ईआईए-2020 मसौदे ( EIA-2020 Draft ) के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई भी जारी है। वहीं ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन ( AAPSU ) ने एक दिन पहले केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ( MoEFCC ) के अधिकारियों से मिलकर इस मसौदे को अरुणाचल प्रदेश सहित पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों के लिए यह विनाशकारी करार दिया है।
विकास को मिलेगा बढ़ावा
दूसरी तरफ केंद्र सरकार इसे विकास, रोजगार और पर्यावरण संतुलन को बढ़ावा देने वाला मसौदा मानती है। केंद्र सरकार का इस मसौदे को लेकर कहना है कि इस पर अमल से देशभर में आधारभूत ढांचों के निर्माण सहित विकास ( Development ) को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार ( Employment ) भी मिलेंगे।
रोजगार और बाजार के लिए लोक विमर्श से छूट
लोक विमर्श से ईआईए 2020 मसौदे में कई सार्वजनिक परियोजनाओं ( Public Sector Big Project ) जैसे सिंचाई परियोजनाओं का आधुनिकीकरण, सभी भवन, निर्माण और क्षेत्रीय विकास परियोजनाओं, अंतर्देशीय जलमार्ग, राष्ट्रीय राजमार्गों के विस्तार या चौड़ीकरण, राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा से संबंधित सभी परियोजनाओं या अन्य रणनीतिक परियोजनाओं को लोक विमर्श से छूट दी गई है।
राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतिक लिहाज से अहम
केंद्र सरकार द्वारा सभी रेखीय परियोजनाएं जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में पाइपलाइनें और 12 समुद्री मील से परे स्थित सभी परियोजनाएं भी इस से बाहर रखी गई हैं। केंद्र सरकार का तो कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा ( National Security ) के अलावा अन्य रणनीतिक महत्व की परियोजनाओं के पर्यावरणीय अनुमति से सम्बंधित सूचना भी सार्वजनिक नहीं की जाएगी।
कुल मिलाकर केंद्र सरकार ने मसौदा अधिसूचना 2020 में कई प्रकार की परियोजनाओं को पर्यावरणीय अनुमति लेने की आवश्यकता से मुक्त कर दिया है, जिनके लिए पहले अनुमति लेनी आवश्यक थी। पर्यावरणीय प्रभाव का अध्ययन अधिसूचना 2020 लागू होने पर खनन परियोजनाओं को 50 साल के लिए पर्यावरणीय अनुमति मिल सकती है। इससे पहले 30 वर्ष के लिए ही पर्यावरणीय अनुमति दी जाती थी।
सामुदायिक हितों के खिलाफ
AAPSU के अनुसार अरुणाचल प्रदेश लंबे समय से भारत का कार्बन सिंक एरिया है। इसलिए EIA-2020 Draft पर अमल हुआ तो बड़े पैमाने पर पारिस्थितिक असंतुलन और विनाश के अलावा यह स्थानीय समुदायों के अस्तित्व के लिए खतरा साबित हो सकता है। यह मसौदा ईआईए पोस्ट फैक्टो को मंजूरी देने का प्रस्ताव करता है जो निश्चित रूप से उन परियोजनाओं के लिए अनुकूल होगा जो पहले से गैर कानूनी तरीके से इस क्षेत्र में चल रहे हैं। यह मसौदा पर्यावरणीय संतुलन ( Environmental balance ) को लेकर पहले से तय सुरक्षा मानकों ( Safety Norms ) को कमजोर करेगा।
Updated on:
09 Aug 2020 03:47 pm
Published on:
09 Aug 2020 03:44 pm
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