ऐसा नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद निर्वाचन आयोग ने अपना काम शुरू किया है बल्कि आधार को वोटर आइडी कार्ड से जोड़ने की तैयारी फरवरी 2015 से ही चल रही थी, लेकिन अगस्त 2015 में सुप्रीम कोर्ट में निजता का हनन और आधार की वैधता से जुड़ा मामला आने के बाद इस योजना को स्थगित कर दिया गया। तब तक लगभग 38 करोड़ मतदाता पहचान पत्र आधार से जोड़े जा चुके थे। देश में इस समय 75 करोड़ रजिस्टर वोटर हैं। आयोग का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर को दिए अपने फैसले में इसे लेकर कुछ नहीं कहा है।
निर्वाचन आयोग की इस योजना को आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पहले पूरी होने के सवाल पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि फिलहाल ये कहना जल्दबाजी होगी। योजना को शुरू करने की देर है, काम को जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश की जा रही है। इसमें कितना वक्त लगेगा अभी नहीं कहा जा सकता।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आयोग ने 2017 में एक आवेदन लगाया था, जिसमें आधार को वोटर कार्ड से जोड़ने को अनिवार्य नहीं बनाए जाने और पूरी तरह से स्वैच्छिक रखने की बात कही गई थी, ऐसे में आयोग अपने अध्ययन के तहत इस बात का भी ध्यान रखेगा।
कुलमिलाकर भले ही सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों से लेकर निजी कंपनियों तक आधार लिंक को जरूरी नहीं कहा लेकिन वोटर कार्ड से जुड़ने के बाद ये स्वतः ही लिंक हो जाएगा, क्योंकि आइडी प्रूफ की जगह जहां भी आप वोटर कार्ड का इस्तेमाल करेंगे वहां आपका आधार डेटा भी स्वतः पहुंच जाएगा।