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Epidemiologists बोले –  कोरोना मरीजों की संख्या गिनने के बजाय इससे होने वाली मौतों को रोकना जरूरी

locationनई दिल्लीPublished: Jun 13, 2020 11:11:12 am

Submitted by:

Dhirendra

 

अगर कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या गिनते रहेंगे तो आप कोरोना को नियंत्रित नहीं कर पाएंगे।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कोविद सकारात्मक मामलों की वसूली दर में वृद्धि जारी है और वर्तमान में 49.47% है।
सांस लेने में कठिनाई होने पर ही अस्पताल पहुंचने या आने को कहा जाए ।

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हर किसी का कोरोना टेस्टिंग ( Corona Testing ) का कोई मतलब नहीं है।

नई दिल्ली। अनलॉक-1 ( Unlock-1 ) में कोरोना वायरस मरीजों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। कोरोना के नए रुख को देखते हुए महामारी विज्ञानियों ( Epidemiologists ) का कहना है कि अब कोरोना से होने वाली मौत को नियंत्रित करना ही सरकार की सफलता और विफलता का पैमाना माना जाएगा। इसलिए केंद्र और राज्यों की सरकारें ( Central and state Government ) कोरोना से होने वाली मौतों को रोकने पर जोर दें न कि मरीजों की संख्या गिनने पर।
महामारी विज्ञानियों ने कहा है कि अगर कोरोना वायरस ( Coronavirus ) से संक्रमित मरीजों की संख्या गिनते रहेंगे तो आप कोरोना को नियंत्रित नहीं कर पाएंगे।

महामारी विज्ञानियों का कहना है कि पिछले कुछ हफ्तों में मौत का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। 11 मई को 87 मौतें, 18 मई को एक सप्ताह बाद 157 तक पहुंच गई, फिर कुछ समय के लिए तेजी से 140 से 160 के रेंज में पहुंच कर रुक गई। 31 मई को 265 मौतें हुई थीं और अब 12 जून को रिकॉर्ड संख्या में 396 मौतें कोरोना वायरस की वजह से हुई हैं।
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सीएमसी वेल्लोर के पूर्व प्रमुख डॉ. जयप्रकाश मुलियाल ( Dr. Jayaprakash Muliyal, former Chief of CMC Vellore ) ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकारों को चाहिए कि वो अपने सभी संसाधनों का उपयोग ऑक्सीजन, बेड और मेडिकल सुविधाओं को बढ़ावा देकर मौतों को रोकने पर दें। कई बीमारियों में उप-नैदानिक संक्रमण होता है। हम उन्हें गंभीरता से नहीं लेते। ऐसे मामलों में अधिकांश लोग बिना उपचार य आंशिक उपचार से ही ठीक हो जाते हैं। यह स्थिति कोरोना के मामलों में भी है।
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ( Coronavirus Pandemic ) को लेकर चिंतनीय विषय यह है कि हम लोग मरीजों की संख्या को गिर रहे हैं। संख्या मीडिया के लिहाज से तो अच्छा हो सकता है लेकिन इससे लोगों में खौफ पैदा होता है। दूसरे देशों में संख्या गिनने के बजाय रोगियों से घर पर रहने को कहा जा रहा है और सांस लेने में कठिनाई होने पर ही अस्पताल पहुंचने पर आने को कहा जा रहा है।
ये बात सही है कि मुंबई, दिल्ली, चेन्नई कोरोना पॉजिटिव मामले ज्यादा आ रहे हैं। इसके बावजूद हर किसी का कोरोना टेस्टिंग ( Corona Testing ) का कोई मतलब नहीं है। अगर आप यही करेंगे तो ऐसे में देश में मरीजों की संख्या अकल्पनीय हो जाएगा।
यदि आप तस्वीर बदलना चाहते हैं तो आपको बेड पर ध्यान केंद्रित करने और मामलों को बिगड़ने से रोकने पर होना चाहिए। कुछ समय में सबकुछ बेहतर हो जाएगा।

आईसीएमआर ( ICMR ) की गुरुवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कोरोना से मृत्यु दर 0.08% है जो अंतरराष्ट्रीय मृत्यु दर 2.86 फीसदी से बहुत कम है। संक्रमण की मृत्यु दर वायरस के संपर्क में आने वाले सभी लोगों में मृत्यु का प्रतिशत है न कि केवल उन लोगों में जो आरटी-पीसीआर परीक्षण ( RT-PCR Test ) में सकारात्मक परीक्षण करते हैं।
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कोरोना महामारी पर नजर रखने वाले एक महामारी विज्ञानी ने कहा कि दिल्ली और मुंबई में आप अभी भी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ( Contact Tracing ) और परीक्षण के बारे में क्यों बात कर रहे हैं? वह अवस्था बहुत लंबी हो चुकी है। ऐसे लोग भी देश में हैं जो बीमारी पीड़ित हुए और बिना अस्पताल गए ठीक भी हो गए होंगे। उनका परीक्षण करने का क्या मतलब है?
कोशिश इस बात की होनी चाहिए कि जिन्हें सांस की समस्या है वही अस्पताल पहुंचे। इस बात पर जोर दें कि किन्हें क्वारनटाइन करना चाहिए किन्हें नहीं। साथ ही लोगों के बताएं कि उन्हें अस्पताल में कब आना है। इस बात को ध्यान में रखते अस्पतालों को तैयार करने क जरूरत है।
इसी तरह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ बेंगलूरु ( Indian Institute of Public Health Bangalore ) के लाइफकोर्स और महामारी प्रमुख डॉ. गिरिधर आर बाबू मृत्यु संख्या को लेकर भी निराश नहीं हैं। उन्हें उम्मीद है सबकुछ ठीक हो जाएगा।
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डॉ. गिरिधर बाबू का कहना है कि भारत के लिए शुभ संकेत यह है कि यहां पर रिकवरी दर अधिक है। भारत में प्रति मिलियन मृत्यु दर कम होना एक बेहतर संकेतक है। भारत के लिए DPM 6.70 है। जबकि अमेरिका और ब्रिटेन में 351 और 608 है। यह केवल सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया में बेहतर है, जिनके पास केवल 4. 4 का डीपीएम है।
उन्होंने कहा कि जिन राज्यों सरकारों ने लॉकडाउन के दौरान अपनी निगरानी प्रणालियों में सुधार के लिए उपयोग किया, उन मामलों में वृद्धि से निपटने के लिए नियंत्रण प्रणाली और वहां स्वास्थ्य प्रणाली का विकास दूसरों की तुलना में बेहतर हैं। मैं आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के बारे में सोच सकता हूं कि तालाबंदी का उपयोग करके अच्छी तैयारी की जा सकती है।
इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ( Health Ministry ) ने एक बयान में कहा कि कोविद सकारात्मक मामलों की वसूली दर में वृद्धि जारी है और वर्तमान में 49.47% है।

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