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विशेषज्ञों ने की Coronavirus से निपटने के तरीकों की आलोचना, Community Transmission की आशंका प्रबल

Public Health और Community Medicine क्षेत्र के नामी वैज्ञानिकों का बयान। ICMR Research Group के दो सदस्यों ने भी सरकार पर उठाए सवाल। Coronavirus Pandemic के Community Transmission की आशंका जताई।

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Coronavirus: गुजरात में 24 घंटे में कोरोना के 361 नए मरीज

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस ( coronavirus in India ) को फैलने से रोकने के लिए देश भर में लागू लॉकडाउन ( Lockdown in India ) जैसे-जैसे खुल रहा है, रोजाना नए केसों ( Coronavirus cases in India ) की संख्या बेहद तेजी से बढ़ती नजर आ रही है। ऐसे में विशेषज्ञों ( Coronavirus Experts ) ने कोरोना वायरस महामारी ( Coronavirus Pandemic ) से निपटने के तरीकों को लेकर सरकार की आलोचना की है। उन्होंने वायरस के कम्यूनिटी ट्रांसमिशन ( Community Transmission ) की प्रबल आशंका जताते हुए फैसले लेने में महामारी विज्ञानियों की कमी की भी आलोचना की है।

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इन विशेषज्ञों में सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामुदायिक चिकित्सा क्षेत्र के नामी वैज्ञानिकों समेत COVID-19 पर एक इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ( ICMR ) के शोध समूह के दो सदस्य भी शामिल हैं। इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन, इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रीवेंटिंव एंड सोशल मेडिसिन और इंडियन एसोसिएशन ऑफ एपिडेमोलॉजिस्ट्स द्वारा जारी एएक संयुक्त बयान में कहा गया है, "यह उम्मीद करना अवास्तविक है कि इस स्तर पर COVID-19 महामारी को समाप्त किया जा सकता है, क्योंकि सामुदायिक प्रसार ( Community Transmission ) देश में बड़े वर्गों या उप-आबादी में पहले से ही अच्छी तरह से स्थापित है।"

वहीं, सरकार ने कहा है कि शनिवार को देश में कुल मामलों की संख्या 1 लाख 73 हजार 763 पहुंच चुकी है, लेकिन इसके बावजूद कोई सामुदायिक प्रसारण नहीं है। हैरानी वाली बात है कि शनिवार को रिकॉर्ड स्तर पर एक दिन में कोरोना वायरस के कुल 7,964 नए मामले सामने आए थे। हालांकि एक्टिव केस की संख्या पहली बार कम हो गई है। यह शुक्रवार को 89,987 मरीजों से घटकर शनिवार को 86,422 पहुंच गई।

बयान के मुताबिक, "25 मार्च 2020 से 30 मई 2020 तक भारत में लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन अब तक देश में उठाए गए सबसे कड़े उपायों में से एक रहा है। बावजूद इसके इस दौरान कोरोना वायरस मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। तमाम घटनाओं ने साबित कर दिया है कि इस लॉकडाउन मॉडल की भविष्यवाणियां हकीकत से काफी दूर थीं। ऐसे मॉडल बनाने वालों की तुलना में अगर भारत सरकार ने रोग संचरण की बेहतर समझ रखने वाले महामारी विज्ञानियों से इसके लिए परामर्श किया होता तो स्थिति शायद बेहतर होती।"

इस बयान में एम्स नई दिल्ली के सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के प्रमुख प्रोफेसर डॉ. शशि कांत, बीएचयू में सामुदायिक चिकित्सा के प्रमुख और पूर्व प्रोफेसर डॉ डीसीएस रेड्डी भी शामिल हैं। यह दोनों बीते 6 अप्रैल को डॉ. रेड्डी के नेतृत्व में COVID-19 के लिए गठित महामारी विज्ञान और निगरानी पर आईसीएमआर अनुसंधान समूह के सदस्य हैं।

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अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं में स्वास्थ्य सेवा के उप महानिदेशक डॉ. अनिल कुमार, एम्स में सामुदायिक चिकित्सा के प्रोफेसर डॉ. पुनीत मिश्रा, एम्स में सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. कपिल यादव भी शामिल हैं। बयान में कहा गया है कि प्रवासियों से निपटने के तरीकों से भी बीमारी के प्रसार में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।

इन सिफारिशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य और मानवीय संकट दोनों के समाधान के लिए केंद्रीय, राज्य और जिला स्तर पर अंतर-अनुशासनात्मक सार्वजनिक स्वास्थ्य और निवारक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सामाजिक वैज्ञानिकों के एक पैनल का गठन किया गया है।