
नई दिल्ली। कृषि कानूनों ( Farm Laws ) को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच गतिरोध बना हुआ है। हालांकि शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) के भाषण और केंद्रीय कृषि मंत्रालय ( Central agriculture ministry ) की ओर से भेजी गई चिठ्ठी के बाद किसानों ने कल यानी शनिवार को बैठक करने का निर्णय लिया है। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि कृषि कानून किसानों की भलाई के लिए हैं, लेकिन विपक्षी पार्टियां उनको बरगलाने में लगी हैं। पीएम मोदी के भाषण के बाद किसान संयुक्त मोर्चा ने सरकार के साथ वार्ता का प्रस्ताव स्वीकार किया है।
किसान सम्मान निधि योजना की अगली किस्त जारी
जानकारी के अनुसार शुक्रवार को केवल पंजाब के संगठनों की बैठक हुई, जबकि नेशनल मोर्चे की कोई बैठक नहीं हुई। मोर्चा शनिवार को बैठक करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों से संवाद से पहले किसान सम्मान निधि योजना की अगली किस्त जारी की। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि कृषि कानूनों को लेकर विपक्ष किसानों को गुमराह करने में लगा है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के माध्यम से सरकार ने आधुनिक खेती पर जोर दिया है। सरकार का फोकस किसानों के खर्च कम करने की है।
किसानों की अनदेखी की गई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों के मसले को लेकर शुक्रवार को वामपंथी दलों और कांग्रेस पर सीधा निशाना साधा। विपक्ष पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके शासनकाल में किसानों की अनदेखी की गई, लेकिन आज जब कृषि क्षेत्र में सुधार हो रहा है तो वे रोड़े अटका रहे हैं। वाम दलों और कांग्रेस पर किसानों को आंदोलन के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए मोदी ने कहा, "वो झंडे वाले जिन्होंने बंगाल को बर्बाद किया, केरल में उनकी सरकार है और इसके पहले देश में 50 साल राज करने वालों की सरकार थी, लेकिन केरल में एपीएमसी मंडियां नहीं हैं। मैं जरा इनसे पूछता हूं कि यहां फोटो निकालने का कार्यक्रम करते हैं, तो केरल में आंदोलन करके वहां तो मंडियां खुलवाएं।
Updated on:
25 Dec 2020 07:05 pm
Published on:
25 Dec 2020 06:58 pm
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