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Farmer Protest: शरद पवार की चेतावनी- मांगें नहीं मानी गईं तो पूरे देश का किसान आंदोलन में कूद जाएगा

नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानो का प्रदर्शन जारी है NCP नेता शरद पवार ने किसान आंदोलन का समर्थन किया

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Farmer Protest: शरद पवार की चेतावनी- मांगें नहीं मानी गईं तो पूरे देश का किसान आंदोलन में कूद जाएगा

Farmer Protest: शरद पवार की चेतावनी- मांगें नहीं मानी गईं तो पूरे देश का किसान आंदोलन में कूद जाएगा

नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों ( New agricultural laws ) के विरोध में किसानो का प्रदर्शन ( Farmer Protest ) जारी है। हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब के हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बॉर्डर ( Delhi Border ) पर डटे हुए हैं। सरकार के साथ पांच दौर की वार्ता बेनतीजा रहने के बाद किसानों ने आठ दिसंबर को भारत बंद ( Bharat band ) का ऐलान किया है। इस बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार ( NCP Chief Sharad Pawar ) ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है। शरद पवार ने कहा कि अगर जल्द ही किसानों की समस्या का समाधान नहीं हुआ तो यह प्रदर्शन राष्ट्रव्यापी रूप ले लेगा और पूरे देश के किसान इस आंदोलन में कूद जाएंगे।

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आंदोलन केवल देश की राजधानी तक ही सीमित नहीं रहेगा

एनसीपी चीफ शरद पवार ने आगे कहा कि देश में पंजाब और हरियाणा के किसानों का खेती और अन्न उत्पादन में सबसे ज्यादा योगदान है। इसी का नतीजा है कि दुनिया के दर्जन भर से अधिक देशों को गेहूं और चावल पहुंचाने का काम अगर किसी ने किया है तो वो पंजाब और हरियाणा के ही किसान हैं। ऐस में अगर देश का अन्नदाता सड़क पर आकर प्रदर्शन कर रहा है तो इससे ज्यादा गंभीर बात और कुछ नहीं हो सकती। शरद पवार ने कहा कि अगर जल्द इसका संज्ञान नहीं लिया गया तो किसानों का यह आंदोलन केवल देश की राजधानी तक ही सीमित नहीं रहेगा। बल्कि पूरे देश के किसान कषि कानूनों के विरोध में हरियाणा और पंजाब के किसानों के साथ खड़े हो जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि बिल पास होने के समय राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने सरकार से इस पर जल्दबाजी न दिखाने की अपील भी की थी।

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देश की 70 प्रतिशत आबादी को सीधे-सीधे प्रभावित

उन्होंने कहा कि नए कृषि बिल पहले चयन समिति के पास भेजे जाने चाहिए थे। ये बिल देश की 70 प्रतिशत आबादी को सीधे-सीधे प्रभावित करने वाले हैं, ऐसे में इन पर चर्चा की जानी चाहिए थी। यही वजह है कि सरकार को अब अपनी जल्दबाजी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। '


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