उन्होंने ये भी कहा कि भारत और चीन अपनी वृद्धि के साथ-साथ किस तरह आपसी तालमेल बैठाते हैं ये एक बड़ा मुद्दा है। इसका एक हिस्सा सीमा विवाद भी है। दरअसल चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद को लेकर साढ़े चार महीने से चल रही बातचीत के बीच विदेश मंत्री का ये बयान काफी अहम है।
दिल्ली में तेज रफ्तार बस का कहर, बच्चे और महिला समेत सात लोगों को कुचला, तीन की मौके पर मौत रूस की राजधानी मास्को में हुई एससीओ की बैठक और 10 सितंबर को चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत के बाद चीन से चल रहे सीमा विवाद पर साढ़े चार महीने बाद विदेश मंत्री की पहली टिप्पणी सामने आई है।
जब विदेशमंत्री एस जयशंकर से पूछा गया कि एशिया के दो बड़े देशों के बीच रिश्ते किस तरह आगे बढ़ेंगे तो उन्होंने जवाब दिया कि भारत और चीन के लिए यह जरूरी है कि वे एक – दूसरे के विकास को समायोजित करने की जरूरत को समझें।
विदेश मंत्री ने कहा भारत और चीन हर तरह से अभूतपूर्व स्थिति से गुजर रहे हैं। लेकिन इसे व्यापक तौर पर देखा जाए तो ये एक बड़े घटनाक्रम का सिर्फ एक पहलू है। दोनों देशों को बैठकर बातचीत के जरिए ही हल निकालना होगा। तभी इस स्थिति से उबर पाएंगे।
उन्होंने कहा कि भारत और चीन दोनों देशों की कूटनीति के लिए बड़ी चुनौती है, कि वे कैसे एक दूसरे की वृद्धि को समायोजित करते हैं। कोर कमांडर लेवल की बातचीत
आपको बता दें कि 21 सितंबर को दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की अहम वार्ता हुई थी। इस वार्ता के बाद दोनों ओर से कुछ फैसलों को लेकर घोषणाएं की गईं।
आईपीएल 2020 में हो रहे मुकाबलों से काफी खुश हैं बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली, जानें क्या आगे के लिए क्या बोले दादा इन घोषणाओं में सीमा पर ज्यादा सैनिकों को भेजना बंद करने जैसी बातें प्रमुख रूप से शामिल थीं। इसके साथ ही ऐसी किसी भी कार्रवाई से बचने की बात थी, जिससे मामला और जटिल हो सकता हो।