इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया है। हालांकि अब गोगोई को मनोनीत किए जाने को लेकर सियासी घमासान भी शुरू हो गया है। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने पूर्व CJI को राज्यसभा सदस्य के लिए मनोनीत किए जाने पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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बता दें कि राष्ट्रपति की ओर से राज्यसभा के लिए 12 सदस्य मनोनीत किए जाते हैं। ये सभी 12 सदस्य अलग-अलग क्षेत्रों की जानी मानी हस्तियां होती हैं। पूर्व चीफ जस्टिस गोगोई 17 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए थे।
कांग्रेस व AIMIM ने उठाए सवाल
पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के राज्यसभा मनोनीत किए जाने के बाद से सियासी संग्राम शुरू हो गया है। कांग्रेस और AIMIM ने फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया, ‘क्या यह ‘इनाम है’? लोगों को जजों की स्वतंत्रता में यकीन कैसे रहेगा? कई सवाल हैं। वहीं कांग्रेस ने भी इसपर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि ईनाम दिया गया है।
राम मंदिर समेत कई मामलों पर दिए ऐतिहासिक फैसले
आपको बता दें कि पूर्व CJI रंजन गोगोई ने अपने कार्यकाल में कई अहम फैसले किए। हालांकि उनका कार्यकाल कई कुछ विवादों और व्यक्तिगत आरोपों से अछूता नहीं रह सका।
पहली बार भारत में ऐसा हुआ था कि सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने रोस्टर विवाद को लेकर सार्वजनिक तौर पर मीडिया से बात की थी, इसमें रंजन गोगोई भी शामिल थे। इसके अलावा कई दशकों से चले आ रहे राम मंदिर विवाद पर रंजन गोगोई की बेंच ने एतिहासिक फैसला सुनाया।
इसके आलावा उन्होंने जिन प्रमुख मुद्दों पर फैसले दिए हैं, उनमें असम एनआरसी, राफेल, सीजेआई ऑफिस आरटीआई के दायरे में, सबरीमाला मंदिर और सरकारी विज्ञापन में नेताओं की तस्वीर प्रकाशित करने पर पाबंदी जैसे मामले शामिल हैं। साथ ही अंग्रेजी और हिंदी समेत 7 भाषाओं में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को प्रकाशित करने का फैसला भी चीफ जस्टिस रहते हुए रंजन गोगोई ने ही लिया था। मालूम हो कि इससे पहले केवल अंग्रेजी में ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले प्रकाशित होते थे।
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आपको बता दें कि रंजन गोगोई का कार्यकाल साढ़े 13 महीनों का था। इस दौरान उन्होंनें कुल 47 फैसले सुनाए, जिनमें से कुछ ऐतिहासिक फैसले भी शामिल हैं। अपने कार्यकाल के दौरान कई विवादों से भी उनका नाता रहा। पहली बार ऐसा हुआ था कि किसी भी वर्तमान सीजेआई पर यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप लगे। हालांकि बाद में वे इससे आरोप मुक्त भी हुए।