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वीवीआईपी टैपिंग से एस्सार के पूर्व कर्मचारी का इंकार

2001 से 2006 के बीच पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के कार्यालय, मुकेश अंबानी-अनिल अंबानी सहित कई वीवीआईपी लोगों की फोन टैपिंग का मामला

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Rakesh Mishra

Jun 18, 2016

essar group

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के वकील सुरेन उप्पल ने एस्सार के जिस पूर्व कर्मचारी के हवाले से साल 2001 से 2006 के बीच पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यालय, उद्योगपति मुकेश अंबानी-अनिल अंबानी सहित कई वीवीआईपी लोगों की फोन टैपिंग कराए जाने की बात कही गई थी। एस्सार के पूर्व कर्मचारी बासित खान ने सुरेन उप्पल के आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि उसे बातचीत के टेप मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने दिए थे। जो कि एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में विख्यात थे। अब वह जीवित नहीं है उनका देहांत एक आतंकवादी हमले में हो चुका है।

एक अंग्रेजी अखबार को दिेए साक्षात्कार में बासित ने बताया कि हम दोनों के बीच अच्छी दोस्ती थी। उन्होंने मुझे कई बार बहुत सारी चीजें अपने पास रखने के लिए दी थीं। मैं उनके साथ कई निजी और आधिकारिक मामलों में शामिल रहा था। पुलिस अधिकारी से बासित की करीबी से पुलिस थी वाकिफ मुंबई पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार उस पुलिस अधिकारी से खान से करीबी के बारे में पुलिस महकमे में सबको जानकारी थी, लेकिन किसी को यह नहीं मालूम था कि वह बातचीत की रिकॉर्डिंग करके खान को दे रहा था।

खान ने कहा कि उसने सुप्रीम कोर्ट में वकील सुरेन उप्पल से बात की जिन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत करके एस्सार पर आरोप लगाया कि कंपनी ने साल 2001 से 2006 के बीच फोन की रिकॉर्डिंग की। खान ने कहा कि "मैं उनसे इस बात पर सलाह मशवरा कर रहा था कि इन टेपों का क्या किया जाए, तब उप्पल ने कहा कि वह इसे राष्ट्रीय स्तर पर उठाएंगे लेकिन उन्होंने इस मामले को पूरी तरह उलट दिया।" बासित ने कहा कि उप्पल ने मुझे तनाव में ला दिया है। मैं किसी से मिलने नहीं गया, उप्पल ही सबसे मिला। जब बासित से यह पूछा गया कि यदि उप्पल ने ये टेप अदालत, सरकार या अन्य किसी अन्य संस्था को सौंप दिए और इसके बाद आपको गवाही के लिए बुलाया गया तो, खान ने कहा कि उन्हें मुझे बुलाने दीजिए मैं उनसे बात कर लूंगा।

वकील के आरोप गलत
बासित खान ने इस मामले के तूल पकड़ने के बाद कहा कि वकील द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह गलत हैं। इसने उप्पल को जो ईमेल लिखा है उसमें उसने कहा है कि एस्सार में काम करते हुए अवैध रूप से जासूसी और कॉल रिकॉर्डिंग करने का मुझपर जो आरोप लगा है जैसा कि आप वाकिफ हैं यह आरोप पूरी तरह गलत और निराधार हैं। मैं जनवरी 2016 के आसपास आपसे मिला और कुछ टेप के संबंध में आपसे सलाह मांगी जो मुझे मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने अपने पास रखने के लिए दिए थे, और जिनकी प्रमाणिकता पर संदेह है। मैं आपसे इस मसले पर इसलिए मिला था कि आप सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं और मुझे इस विषय पर सही सलाह देंगे। मैंने आपको कभी अपना वकील नियुक्त नहीं किया।
ऐसा लगता है कि आपके आपके दारा की गई शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया गया। इसलिए अब आप इसे मीडिया में लाकर मुझ पर दबाव डाल रहे हैं कि मैं इस गलत काम में आपका सहयोग करूं।

रिकॉर्डिंग करने हैं बेहद सख्त प्रावधान

खान ने मेल में यह भी लिखा कि फोन टैपिंग करना इतना आसान काम नहीं है। इस पर रोक लगाने के लिए सरकार ने बेहद कड़े प्रावधान किए हैं। देश में कॉल टैपिंग का अधिकार केवल कुछ गिनी-चुनी एजेंसियों के पास हैं, वह भी ऐसा गृह सचिव के आदेश पर कर सकते हैं। सरकार द्वारा कड़े प्रावधान किए जाने की वजह से दूरसंचार कंपनियों के नोडल अधिकारी यह सुनिश्चित करते हैं कि कहीं किसी गैर आधिकारिक तरीके से बातचीत की रिकॉर्डिंग तक किसी अनाधिकृत व्यक्ति की पहुंच तो नहीं है, उस डेटा तक केवल अधिकृत एजेंसी की पहुंच होनी चाहिए। इसके लिए लॉग मेंटेन किया जाता है ऐसे में जो कोई भी सर्वर पर लॉग इन करता है उसे ट्रैक किया जा सकता है। इसकी सूचना आंतरिक स्तर पर भी उपलब्ध नहीं है केवल फोन नंबर उपलब्ध हैं।

किसने और क्यों कराई थी टैपिंग
बासित के बताए अनुसार ये कैसेट पुलिस अधिकारी ने उसे दिए थे, ऐसे में सवाल उठता है कि उसने ये रिकॉर्डिंग किसके कहने पर और क्यों की थी, और उसने इन टेप्स को बासित के पास क्यों रखा था ? वह पुलिस अधिकारी कौन था जिसकी बात बासित कर रहा है?

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