
mustard oil
नई दिल्ली। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने इसी साल अक्टूबर महीने में सरसों तेल को लेकर एक नियम लगाया था। नियम ये था कि को भी कंपनी अब सरसों के तेल में कोई दूसरा तेल नहीं मिलाएंगी। FSSAI के इस फैसले के बाद आमजन बहुत खुश हुए लेकिन तेल कंपनियाँ इसका विरोध करने लगी। परिणाम ये हुआ कि 100 रूपए में बिकने वाली तेल 170 रूपए का बिकने लगा। तेल के बढ़ते कीमतों की वजह से अब FSSAI ने अपना फैसला वापस ले लिया है। आने वाले दिनों में सरसों के तेल के दाम में गिरावट देखने को मिल जाएगी लेकिन ये 100% शुद्ध तेल नहीं होगें।
फिर से मिलेगा नकली तेल
दरअसल, ड्राफ्ट फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्सअ मेंडमेंट रेगुलेशनंस, 2020 कानून के तहत FSSAI ने 1 अक्टूबर 2020 से सरसों तेल में मिलावट रोकने का फैसला किया था। अपने फैसले में FSSAI ने कहा था कि सरसों तेल में किसी अन्य तेल की मिलावट के बाद उसे बनाने और बेचने पर पाबंदी होगी।’ FSSAI ने ये फैसला केंद्र सरकार के उस आदेश के बाद लिया था जिसमें कहा गया था कि देश में लोगों को खाने वाले सरसों तेल की शुद्धता सुनिश्चित कराए और किसी प्रकार की मिलावट पर रोक लगाए।
क्यों वापस लेना पड़ा फैसला ?
जब FSSAI ने मिलावट रोकने के लिए कह दिया था को ऐसा क्या हुआ कि उन्हें दो महीने के अंदर ही अपना फैसला वापस लेना पड़ा। इस सवाल का जवाब हैं तेल कंपनियों का दबाव। असल में कंपनियों के बिज़नेस पर पड़ने वाले असर को देखते हुए ये फैसला वापस ले लिया गया है।
कंपनियों ने पहले भी कहा था कि ब्लेंडिंग रोकने से उनके साथ-साथ आम आदमी पर भी बड़ा असर पड़ेंगा। कंपनियों का कहना था इससे तेल के दाम में अचानक से अधिक बढ़ोत्तरी हो जाएगी। इससे खरीदी घटेगी और लोग सरसों तेल का उपयोग कम कर देंगे। इसकी वजह से डिमांड और सप्लाई दोनों स्तर पर बड़ी गड़बड़ी सामने आ सकती है। इन्हीं दलीलों की वजह से FSSAI को अपना फैसला वापस लेना पड़ा।
होती है मोटी कमाई
जानकारों की माने तो सरसों तेल में सस्ते खाद्य तेल की मिलावट करने से बहुत फायदा मिलता है। कुछ लोग तो सरसों तेल में सस्ते खाद्य तेल 80 फीसदी तक मिला देते हैं। जिसकी वजह से आमलोगों के साथ-साथ किसानों को भी नुकसान पहुँचता है। मिलावट की वजह से किसानों के सरसों का असली मूल्य नहीं मिल पाता है।
बता दें सरसों तेल में मिलावट दो तरह से होती है – एक सम्मिश्रण (ब्लेंडिंग) जिसमें एक निश्चित अनुपात में मिलावट की जाती है जबकि दूसरा अपमिश्रण (अडल्टरेशन) है जिसमें मिलावट के लिए कोई अनुपात तय नहीं होता है। ज्यादातर लोग इसमें अडल्टरेशनवाला रास्ता अपनाते हैं।
Published on:
16 Dec 2020 06:47 pm
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