
राज्यसभा में बिदाई भाषण देते कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद
नई दिल्ली। राज्यसभा ( Rajya Sabha ) में अपनी बिदाई से पहले कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ( Gulam nabi azad ) सदन को संबोधित किया। उन्होंने कहा मैं उन सौभाग्यशाली लोगों में से हूं, जो कभी पाकिस्तान नहीं गया। जब मैं पाकिस्तान में परिस्थितियों के बारे में पढ़ता हूं, तो मुझे एक हिंदुस्तानी मुस्लिम होने पर गर्व महसूस होता है।
उन्होंने कहा 15 साल पुराना एक आतंकी हमला याद कर गुलाम नबी आजाद भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि मेरी दुआ है कि यह आतंकवाद खत्म हो जाए।
आजाद ने कहा कि मैं संजय गांधी और इंदिरा गांधी का आभारी हूं। मुझे कांग्रेस के पांच-पांच अध्यक्षों के साथ काम करने को मौका मिला। इंदिरा जी मुझे और फोतेदार को बताती रहती थीं कि अटल जी से संपर्क रहा करो।
शायराना अंदाज में किया अपने संसदीय जीवन को याद
गुलाम नबी आजाद ने अपने 41 साल के संसदीय जीवन और कश्मीरी पंडितों को शायराना अंदाज में याद किया।
उन्होंने कहा- गुजर गया वो जो छोटा सा इक फसाना था,
फूल थे, चमन था, आशियाना था,
न पूछ उजड़े नशेमन की दास्तां,
न पूछ थे चार दिन के मगर नाम आशियाना तो था
आजाद ने कहा कि - बदलेगा न मेरे बाद मौजू-ए-गुफ्तगू,
मैं जा हूंगा, मगरररर तेरी महफिलों में रहूंगा।
जम्मू रीजन से आने वाले गुलाम नबी ने बताया कि उन्होंने देशभक्ति महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और मौलाना आजाद को पढ़कर सीखी है।
उन्होंने सदन में बताया, 'मैं कश्मीर के सबसे बड़े SP कॉलेज में पढ़ता था. वहां 14 अगस्त और 15 अगस्त दोनों मनाया जाता था। 14 अगस्त (पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस) मनाने वालों की संख्या ज्यादा थी। मैं और मेरे कुछ साथी 15 अगस्त मनाते थे और ऐसे लोग बहुत कम थे, लेकिन उसके बाद हम एक हफ्ता कॉलेज नहीं जाते थे क्योंकि वहां पिटाई होती थी।
Updated on:
09 Feb 2021 03:26 pm
Published on:
09 Feb 2021 01:13 pm
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