
नई दिल्ली। पीएम मोदी से दाऊदी बोहरा समुदाय से आने वाली कई महिलाओं ने लड़कियों के महिला सुन्नत को गैर-कानूनी करने के लिए मदद की गुहार लगाई है। फिलहाल भारत में महिला सुन्नतको लेकर कोई भी कानून नहीं है लेकिन बोहरा समुदाय अब भी महिला सुन्नत का पालन करता है। महिलाओं के इस महिला सुन्नत को अंग्रेजी में फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन कहते हैं। इसके खिलाफ महिलाओं ने एक कैंपेन भी लॉन्च किया है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि लड़कियों का महिला सुन्नत कैसे होता है, इस दौरान उन्हें किस तरह का दर्द और मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ती है।
यह है महिला सुन्नत की प्रक्रिया
महिला योनि के एक हिस्से क्लिटोरिस को रेजर ब्लेड से काट कर महिला सुन्नत किया जाता है। वहीं कुछ जगहों पर क्लिटोरिस और योनि की अंदरूनी स्किन को भी थोड़ा सा हटा दिया जाता है।
महिला सुन्नत की इस परंपरा के पीछे यह माना जाता है कि महिला यौनिकता पितृसत्ता के लिए खतरा है, साथ ही महिलाओं को यौन संबंध का लुत्फ उठाने का कोई अधिकार नहीं है।
ऐसी मान्यता है कि जिस भी लड़की का महिला सुन्नत हुआ है, वह अपने पति के लिए ज्यादा वफादार साबित होगी।
संयुक्त राष्ट्र की संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, महिला सुन्नत 4 तरीके का हो सकता है- पूरी क्लिटोरिस को काट देना, योनी की सिलाई, छेदना या बींधना, क्लिटोरिस का कुछ हिस्सा काटना।
इसके नुकसान
एक ही ब्लेड से कई महिलाओं का महिला सुन्नत किया जाता है, जिससे उन्हें योनी संक्रमण के अलावा बांझपन जैसी बीमारियां होने का खतरा होता है। महिला सुन्नत के दौरान ज्यादा खून बहने से कई बार लड़की की मौत भी हो जाती है और दर्द सहन ना कर पाने पर कई लड़कियां कोमा में भी चली जाती हैं।
हैरान करने वाले हैं आंकड़े
यूनिसेफ के आंकड़ों के अनुसार, दुनियाभर में हर साल बीस करोड़ से ज्यादा महिलाओं का महिला सुन्नत होता है। इनमें से आधी महिलाएं सिर्फ इथियोपिया, मिस्र और इंडोनेशिया की होती हैं। महिला सुन्नत होने वाली इन 20 करोड़ लड़कियों में से करीब 4.5 करोड़ बच्चियां 14 साल से कम उम्र की होती हैं। आंकड़ों के मुताबिक इंडोनेशिया में आधी से ज्यादा बच्चियों का महिला सुन्नत अब तक हो चुका है।
Published on:
22 Nov 2017 03:16 pm
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