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ऐसे बची थी विभाजन के वक्त सुनील दत्त और इंजमामुल हक के परिवार की जान

विभाजन की याद अबतक कई परिवार को भावुक कर देती है। कई ऐसे हीरो भी थे जिन्होंने अपनी जान पर खेल कर कई जान बचाई। आज हम आपको बता रहे हैं ऐसे ही दो किस्से।

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Apurva

Aug 15, 2017

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पाकिस्तान में घिर गए थे सुनील दत्त, तब एक मुस्लिम ने बचाई थी उनकी जान
नई दिल्ली। अभिनेता सुनील दत्त का जन्म पाकिस्तान में हुआ था। विभाजन के बाद वे भारत आ गए थे। लेकिन ये जानकारी बहुत कम लोगों को होगी कि उनकी जिंदगी एक मुसलान शख्स ने बचाई थी। दरअसल, विभाजन के वक्त दोनों ओर यानी पाकिस्तान और भारत में धर्म के आधार पर मार-काट मची थी। ऐसे में सुनील दत्त का परिवार काफी चिंतित था। उन्हें यकीन नहीं हो पा रहा था कि उनके परिवार वालों की जिंदगी कैसे बचेगी।

तभी दत्त परिवार के एक मित्र उनके लिए फरिश्ता बनकर आए। सुनील दत्त के पिता के मित्र का नाम था याकूब। याकूब ने दत्त की जिंदगी बचाई थी। संभवत: यही वजह है कि दत्त हमेशा हिंदू-मुस्लिम के बीच सद्भावना बनाने का काम करते रहे। दत्त झेलम से 20 किलोमीटर दूर खुर्द के वासी थे।
दत्त जिस गांव में रहते थे, वहां पर दत्त तायाजी के साथ रहते थे। विभाजन के वक्त स्थानीय मौलवियों ने पूरे क्षेत्र में घूम-घूम कर प्रचार किया था कि जितने भी गैर मुस्लिम लोग रह रहे हैं, वे छोड़कर चले जाएं।
दत्त के तायाजी ने पास के एक गांव नावन कोट में याकूब नाम के एक शख्स के यहां जाकर शरण ली। इसकी जानकारी मिलते ही, मुस्लिमों ने उस गांव की ओर ररख किया।
सुनीत दत्त ने बाद में अपनी याद साझा करते हुए कहा कि याकूब साहब बंदूक लेकर घर से बाहर निकल गए। उन्होंने साफ-साफ कहा कि उनके लिए दोस्ती अपनी जान से ज्यादा प्यारी है। इस तरह से उनकी जान बची थी।
इसके बाद तायाजी ने उनके परिवार के निकलने में मदद की। उनके लिए घोड़े का इंतजाम किया और किसी तरह से उन्हें सुरक्षित निकाल दिया।

ऐसे बची थी इंजमामुल हक के परिवार की जान
भारत में क्रिकेट खेलने आए इंजमामुल हक की मुलाकात एक युवक से हुई जिसने अपनी मां पुष्पा गोयल का नंबर देते हुए कहा कि इसे मुल्तान में अपने माता-पिता को दे दीजिएगा।
बहुत जल्द ही इस नंबर पर मुल्तान से एक फोन आया। इंजमाम के पिता को पुष्पा भलीभांति याद थीं। दरअसल पुष्पा के पिता ने विभाजन के समय उन लोगों की जान बचाई थी। उस समय इंजमाम का परिवार हरियाणा के हिसार जिले के हंसी नामक स्थान पर रहता था। जब हमलावरों की भीड़ ने उनके गांव को घेर लिया तो पुष्पा के परिवार ने उन्हें अपने घर में छिपाया। पुष्पा बाद में इंजमाम की शादी में शामिल होने मुल्तान गईं।