
How to apply for HSRP and colour coded stickers for vehicles
नई दिल्ली। दिल्ली में यातायात के नियम में बड़ा बदलाव किया गया है। अब राजधानी में गाड़ियों पर हाई सिक्यॉरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट का होना जरूरी है। ऐसे में अगर आप बिना खास नंबर प्लेट के गाड़ी चलाते हैं तो भारी चालान भरना पड़ सकता है।
दरअसल, नए नियमों के अनुसार,यातायात पुलिस ने वाहन स्वामियों को 31 दिसंबर तक नंबर प्लेट लगवाने के निर्देश दिए हैं। नंबर प्लेट के साथ ही एक क्लर्ड स्टिकर होना भी लगवाना जरूरी है। हालांकि टू-व्हीलर गाड़ी में सिर्फ नंबर प्लेट आवश्यक है। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपको 11 हजार रुपये तक का चालान भरना पड़ सकता है।
खास होती है नंबर प्लेट
मिली जानकारी के अनुसार ये एल्युमीनियम की नंबर प्लेट सिर्फ दो नॉन-रियूजेबल लॉक से ही लगाई जाती है। अगर ये लॉक टूट जाता है तो पता चल जाएगा कि नंबर प्लेट के साथ छेड़छाड़ हुई है। इसके साथ ही प्लेट में नीचे 10 अंकों का खास पिन भी होता है। जो लेजर से बना होता है।
कैसे बनवाएं नंबर प्लेट?
वैसे आरटीओ नए रजिस्ट्रेशन पर ये ही नंबर प्लेट लगा रहा है, लेकिन जिनके वाहन पर ये नहीं लगा है वे शोरूम में कंपनी स्टाफ की मदद से लगवा सकते हैं। इसके अलावा आप चाहें तो घर बैठ खुद भी इसके लिए एप्लाई कर सकते हैं। ऑनलाइन एप्लाई करने के लिए सबसे पहले वेबसाइट bookmyhsrp.com पर लॉग इन करें।
इसके बाद जो फॉर्म दिख रहा है उसमें सारी जानकारी भरें। इसमें सबसे पहले आपको बताना होगा कि आपको नंबर प्लेट चाहिए या फिर केलव स्टिकर चाहिए। इसके बाद आपको वाहन के मोड, राज्य, फ्यूल टाइप, और व्हीकल टाइप की जानकारी देनी होगी। इसके बाद आपको फीस देनी होगी। ये फीस आपकी गाड़ी पर निर्भर करती है। फीस देने के बाद आपका आवेदन पूरा हो जाएगा और कुछ दिन के अंदर आपको आपना नया नंबर प्लेट मिल जाएगा। लेकिन प्लेट आने तक आपको फीस जमा करने वाली रसीद से काम चलाना होगा। अगर रसीद आपके पास होगी तो आपका चालान नहीं कटेगा।
इसके साथ ही हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट का काम देख रही कंपनी का टोल फ्री नंबर 18002702709 भी जारी किया गया है, जो सुबह 10 से शाम 6 बजे तक चालू रहेगा। आप इसपर कॉल कर के भी इसके संबधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
बता दें सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने अप्रैल 2019 से पहले खरीदी गईं सभी गाड़ियों पर हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट को होना अनिवार्य कर दिया है। मंत्रालय ने वैसे इसकी शुरूआत साल 2005 में ही कर दी था लेकिन इसका पालन अभी तक नहीं किया गया था।
Published on:
20 Dec 2020 06:21 pm
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