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India China Tension: भारत ने चीन को किया चित, सरकारी ठेकों के नियम बदलकर फोन और दवा कंपनियों को दिया झटका

India China Tension के बीच भारत ने चीन को लेकर चला बड़ा दांव सरकारी ठेकों के नियमों में किए बड़े बदलाव, अब Chinese Electronic और Drug Companies की बढ़ेगी मुश्किल अब चीनी कंपनियों को नए सिक्योरिटी चेक से गुजरना होगा

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India China Tension

चीन को चित करने के लिए भारत ने उठाया बड़ा कदम

नई दिल्ली। भारत और चीन ( India China Tension ) के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा ( LAC ) पर हुए तनाव के बाद से रिश्तों में खटास बढ़ती जा रही है। भारत लगातार चीन की चालों को मात तो दे ही रहा है साथ ही अब उसके लिए एक के बाद एक झटके भी दे रहा है। 59 चीनी ऐप ( 59 Chinese App Ban ) बैन किए जाने के बाद लगातार भारत चीन के साथ व्यापार में दूरी बनाकर उसकी अकड़ निकालने में जुटा है।

इसी कड़ी में अब भारत ने चीन की दुखती रग पर हाथ रख दिया है। चीन अपने इलेक्ट्रॉनिक्स ( Electronics ) के दम पर दुनिया में धाक जमाने की कोशिश करता है अब भारत ने उसी पर अपनी नजरें टेढ़ी की हैं। भारत में सरकारी ठेका हासिल करने के लिए चीनी कंपनियों को अब खासी मशक्‍कत करनी पड़ेगी।

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जिन कंपनियों ने भारत में प्रत्‍यक्ष विदेश निवेश के लिए इनवेस्‍ट किया है, उनको अब नए सिक्‍योरिटी चेक से गुजरना होगा। ऐसे चीन को इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ-साथ दवा के क्षेत्र में भी बड़ा झटका लगेगा।

वित्त मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइन
चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच भारत के वित्त मंत्रालय ने व्यापार को लेकर नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसके मुताबिक भारत के साथ जिन देशों की जमीनी सीमा है, उन्‍हें सरकारी ठेकों में हिस्‍सा लेने के लिए 'सक्षम प्राधिकारी' के साथ रजिस्‍टर करना होगा।

नेपाल, भूटान और बांग्लादेश को छूट
यही नहीं सक्षम अथॉरिटी का गठन डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री ऐंड इंटर्नल ट्रेड (DPIIT) की तरफ से किया जाएगा। हालांकि भारत ने इस नियम से नेपाल, भूटान और बांग्‍लादेश को बाहर रखने का फैसला किया है। दरअसल भारत ने उन देशों को छूट दी है जहां वो लाइन ऑफ क्रेडिट देता है या डेवलपमेंट प्रोजेक्‍ट्स चला रहा है।

चीन के लिए ऐसे बढ़ेगी मुश्किल
भारत की नई नीति के बाद चीन को व्यापार करने में काफी मुश्किलों को सामना करना पड़ेगा। दरअसल चीनी स्‍मार्टफोन मेकर्स को रजिस्‍ट्रेशन प्रोसेस से गुजरना होगा। इसके लिए उन्‍हें कई मंत्रालयों की समिति का सामना करना होगा। तभी वह सरकारी ई-मार्केटप्‍लेस पर अपने उत्‍पाद बेच पाएंगी।

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आपको बात दें कि अप्रैल में सरकार ने चीनी फर्मों के लिए ऑटोमेटिक एफडीआई अप्रूवल्‍स को रोक दिया था। अब चीन के अतिरिक्त निवेश के लिए क्लियरेंस लेना होगा और फिर सरकारी ठेकों में हिस्सा लेने के लिए दोबारा पंजीकरण कराना होगा।