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India-China Standoff: टॉप राजनेताओं-सैन्य अधिकारियों की बैठक, 12 को होगी सैन्य वार्ता

लद्धाख में जारी गतिरोध ( India-China standoff ) को लेकर दिग्गज राजनेताओं-सैन्य अधिकारियों की वार्ता। चीन से सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत को लेकर बनाई गई रणनीति। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अप्रैल-मई से जारी है भारत-चीन के बीच गतिरोध।

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India-China Standoff: Top level political-military commanders discusses strategy

Top level political-military commanders discusses strategy (File Photo)

नई दिल्ली। भारत और चीन की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी गतिरोध ( India-China standoff ) को समाप्त करने को लेकर केंद्र सरकार के मंत्रियों और सेना के अधिकारियों के बीच शुक्रवार को बैठक आयोजित की गई। अब भारत और चीन के बीच सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत सातवीं बार 12 अक्टूबर को होगी। ताकि पूर्वी लद्धाख क्षेत्र में लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध को समाप्त किया जा सके।

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सरकारी सूत्रों के मुताबिक सेना के प्रमुख अधिकारी और प्रमुख राजनेताओं ने 12 अक्टूबर को चीन से होने वाली बैठक को रणनीति तैयार की है। चीन-भारत के बीच सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत चुशुल-मोल्दो क्षेत्र में होगी। उत्तरी लद्धाख के क्षेत्र में दोनों देशों के करीब 50 हजार सैनिक अप्रैल-मई से आमने-सामने हैं।

भारत का साफ पक्ष है कि पूरे मामले में पहले बातचीत उत्तरी लद्धाख के पूरे क्षेत्र से सेना हटाने को लेकर होगी। जानकारी के मुताबिक सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह की वर्तमान सातवें स्तर की अंतिम बातचीत होगी। इसकी वजह उनकी जगह कार्यभार संभालने के लिए लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन पहले ही वहां पहुंच चुके हैं।

पूर्वी लद्धाख के क्षेत्र में सीमा उल्लंघन पहली बार इस साल अप्रैल-मई में हुआ था। इससे पहले लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह को अक्टूबर 2019 में 14 कॉर्प्स का प्रमुख बनाया गया था। उन्हें इस तरह के ऑपरेशनल अनुभवों को लेकर काफी साहसी माना जाता है।

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दरअसल विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे और वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया समेत तमाम राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व चीनी द्वारा की गई कार्रवाई के बाद से मामले को सुलझाने में लगे हुए हैं।

एनएसए के नेतृत्व में कोर सुरक्षा टीम सक्रिय रूप से चीन की हरकतों का माकूल जवाब देने के लिए दक्षिणी और उत्तरी पैंगोंग झील क्षेत्र में सामरिक ऊंचाइयों पर कब्जा कर चुकी है।


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