
नई दिल्ली। जहां भारत 2030 तक मलेरिया से मुक्त होने का सपना देख रहा है वहीं दूसरी तरफ एक बड़ा झटका लगा है। विश्व में मलेरिया से होने वाले मौतों की सूची में भारत को चौथा स्थान मिला है। इस लिहाज से भारत को मलेरिया मुक्त होने के लिए एक बड़े जागरुकता अभियान चलाने की जरुरत है। बता दें कि भारत में छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और ओड़िशा जैसे पीछड़े राज्यों में मलेरिया के अधिक मामलों की सूचना मिली है। हालांकि भारत ने 2027 तक मलेरिया मुक्त होने और 2030 तक इस बीमारी को समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। आपको बता दें कि आज से 120 साल पहले भारत के सिकंदराबाद में मच्छरों द्वारा मलेरिया को फैलाने की बात सामने आई थी। हालांकि तब से लेकर अबतक दुनिया के आधे से अधिक देशों में मलेरिया समाप्त हो चुका है। अब समय आ चुका है कि भारत मलेरिया से मुक्ति के लिए ठोस और कारगर कदम उठाए।
भारत में मलेरिया मॉनीटरिंग सिस्टम बेहद कमजोर : डॉ. अग्रवाल
आपको बता दें कि हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, "मलेरिया प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होने वाला एक जानलेवा रक्त रोग है। यह एनोफिलीज मच्छर के काटने से मनुष्यों में संचरित होता है। जब संक्रमित मच्छर मानव को काटता है, तो परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित और नष्ट करने से पहले मेजबान के लिवर में मल्टीप्लाई हो जाता है।" उन्होंने कहा, "भारत में अभी भी मलेरिया मॉनीटरिंग सिस्टम बेहद कमजोर है। विभिन्न स्तरों पर प्रयासों के बावजूद, यह बीमारी अभी भी एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है।" डॉ. अग्रवाल ने बताया कि बुखार और ठंड लगना, बेहोशी जैसी स्थिति होना, गहरी सांस लेने में परेशानी और सांस लेने में दिक्कत, असामान्य रक्तस्राव और एनीमिया और पीलिया जैसे रोग गंभीर मलेरिया के लक्षण होते हैं।
मलेरिया की रोकथाम के उपाय
डॉ. अग्रवाल ने मलेरिया से रोकथाम के उपाय पर सुझाव देते हुए कहा कि "मलेरिया मच्छर घर में एकत्र ताजे पानी में पनपते हैं। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आपके घर और आस-पास के क्षेत्रों में पानी जमा न हो। मच्छर चक्र को पूरा होने में 7-12 दिन लगते हैं। इसलिए, यदि पानी स्टोर करने वाला कोई भी बर्तन या कंटेनर सप्ताह में एक बार ठीक से साफ नहीं किया जाता है तो उसमें मच्छर अंडे दे सकते हैं।" आगे उन्होंने बताया, "मच्छर मनी प्लांट के पॉट में या छत पर पानी के टैंकों में अंडे दे सकते हैं। यदि वे ठीक तरह से ढंके न हों तो खतरा है। यदि छत पर रखे पक्षियों के पानी के बर्तन हर हफ्ते साफ नहीं होते हैं, तो मच्छर उनमें अंडे दे सकते हैं। रात में मच्छरदानी, या मच्छर भगाने की क्रीम का उपयोग मलेरिया को रोक नहीं सकता क्योंकि ये मच्छर दिन के दौरान काटते हैं। मलेरिया के मच्छर आवाज नहीं करते हैं। इसलिए, जो मच्छर ध्वनि उत्पन्न नहीं करते हैं, वे बीमारियों का कारण बनते हैं।"
Published on:
26 Apr 2018 09:10 pm
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