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India-China Dispute: भारतीय वायुसेना ने दिखाई LAC पर अपनी ताकत-तैयारी और मुस्तैदी

15 जून को गलवान घाटी ( india china standoff galwan valley ) में हुई हिंसक झड़प के बाद वायुसेना ( Indian Air Force ) की गतिविधियां हुईं तेज। भारत-चीन विवाद ( india-china dispute ) के बाद सीमा पर बने अग्रिम एयरबेस ( IAF Airbase ) पर लड़ाकू विमानों ( IAF Fighter Planes )-हेलीकॉप्टरों ( apache and Chinook helicopters ) ने दिखाई ताकत। वायुसेना ने कहा कि हर चुनौती से निपटने और सैनिकों को सहायता पहुंचाने को पूरी तरह तैयार।

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Indian Airforce shows strenght in LAC amid India China Dispute

Indian Airforce shows strenght in LAC amid India China Dispute

लेह। भारत-चीन सीमा तनाव ( india-china dispute ) के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास भारतीय वायुसेना ( Indian Air Force ) ने अपनी ताकत, तैयारी और मुस्तैदी का पुरजोर प्रदर्शन किया। वायुसेना ने शनिवार को अपने इस प्रदर्शन को दिखाने के लिए पत्रकारों को आमंत्रित किया और अग्रिम एयरबेस ( IAF Airbase ) पर रूस में निर्मित सुखोई 30MKI और MIG-29 जैसे लड़ाकू विमानों ( IAF Fighter Planes ) की आवाजाही दिखाई। इसके साथ ही वायुसेना ने अमरीका में बने C-17 और C-130J के साथ रूसी इल्युशिन-76 व AN-32 जैसे कार्गो विमानों का संचालन कर इस इलाके में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराई।

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भारत-चीन सीमा पर इन विमानों की तैनाती के साथ ही हर हालात से निपटने के लिए तैयार अपाचे हेलीकॉप्टर ने भी यहां पर अपना जौहर दिखाया। मई में शुरू हुए चीनी सेना के जमावड़े के बाद से पूर्वी लद्दाख में अब तक अमरीकी अपाचे हेलीकॉप्टर और भारी वजन ढोने वाले चिनूक हेलीकॉप्टर ( apache and Chinook helicopters ) महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

भारत के लिए सैन्य रूप से पुख्ता इस एयरबेस में वायुसेना की गतिविधियां काफी तेज हो चुकी हैं। जबकि दोनों देशों की सीमा से लगा यह एयरबेस, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत की लड़ाई की तैयारियों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है।

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अग्रिम हवाई क्षेत्र के महत्व के बारे में पूछे जाने पर भारतीय वायुसेना के एक फ़्लाइट लेफ्टिनेंट ने बताया कि इस क्षेत्र में ऑपरेशंस शुरू करने में यह एयरबेस बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सभी आकस्मिकताओं और इस क्षेत्र में किए जाने वाले सभी मुकाबलों और सपोर्ट ऑपरेशंस के लिए पूरी तरह तैयार है।

वहीं, एयरबेस में तैयारियों को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एक विंग कमांडर ने बताया भारतीय वायु सेना ऑपरेशंस के लिए पूरी तरह से तैयार है और सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह रेडी है। युद्ध के दौरान लड़ने में वायु शक्ति बहुत शक्तिशाली पहलू है और आज ज्यादा प्रासंगिक है।

यह पूछे जाने पर कि गलवान घाटी संघर्ष के बाद तनाव के मद्देनजर वायु सेना खुद को कैसे तैयार कर रही थी उन्होंने कहा वायु सेना इस क्षेत्र में मुकाबले और सपोर्ट दोनों ही मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए हमारे पास सैनिकों और उपकरणों के संदर्भ में सभी संसाधन हैं।

विंग कमांडर ने आगे कहा कि भारतीय वायु सेना सभी परिचालन कार्यों को पूरा करने और सभी सैन्य अभियानों के लिए अपेक्षित सहायता प्रदान करने के सभी पहलुओं में तैयार है।

भारी वजन उठाने में सक्षण चिनूक हेलीकॉप्टरों के साथ-साथ बेस पर तैनात Mi-17 V5 हेलीकॉप्टरों के रूसी बेड़े सेना और आईटीबीपी के सैनिकों को अग्रिम स्थानों पर ले जाने के लिए नियमित रूप से जुटे हुए हैं। एक लंबी तैयारी के लिए चिनूक हेलीकॉप्टरों को अग्रिम चौकियों तक महत्वपूर्ण उपकरणों को पहुंचाने के लिए लोड किया जा सकता है क्योंकि चीन ने एलएसी के साथ इस क्षेत्र में अपनी तैनाती मजबूत की है।

बीते 15 जून को भारतीय-चीनी सैनिकों के बीच गलवान घाटी ( india china standoff galwan valley ) में संघर्ष के बाद जब चीन ने तेजी से निर्माण शुरू कर दिया था, तब लद्दाख क्षेत्र और चीन सीमा के साथ अन्य स्थानों पर हवाई गतिविधियां तब बड़े पैमाने पर शुरू हो गई थीं।