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LAC के करीब अरूणाचल प्रदेश में 6 विवादित क्षेत्रों में China की नापाक हरकत, भारतीय सुरक्षा बलों ने बढ़ाई निगरानी

HIGHLIGHTS India China Border Dispute: चीन ने लद्दाख में बढ़ते तनाव के बीच अब अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में चहलकदमी बढ़ा दी है। भारतीय सेना ने चीन की नापाक हरकतों को देखते हुए पूरी तरह से तैयारी कर ली है और 6 विवादित इलाकों के आसपास निगरानी बढ़ा दी है।

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Indian Defence Forces on Toes in 6 disputed areas in Arunachal Pradesh Along to LAC

गुवाहाटी। भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर तनातनी काफी बढ़ गई है। इस बीच पूरे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारतीय सुक्षा बलों ने चीन की नापाक हरकतों को देखते हुए निगरानी बढ़ा दी है।

इसी कड़ी में LAC के करीब अरुणाचल प्रदेश में भारतीय रक्षा बलों ने 1962 के युद्ध के समय के सभी 'छह विवादित क्षेत्रों' और 'चार संवेदनशील क्षेत्रों' में चीनी गतिविधियों की निगरानी के लिए तैयारियों और सतर्कता का स्तर बढ़ा दिया है।

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एक शीर्ष रक्षा अधिकारी ने कहा, ' चार विवादित क्षेत्र अपर सुबांसीरी जिले के आसपिला, लोंग्ज़ु, बीसा और माजा में हैं, जहां चीनी सेना PLA ने पहले ही एलएसी के एक छोर से दूसरे छोर तक Bisa के माध्यम से एक सड़क का निर्माण किया है।

बता दें कि चीन पूरे आसपिला क्षेत्र पर दावा करता है। यह एक विवादित क्षेत्र है। काफी ऊंचाई वाला ये क्षेत्र चीनी और भारतीय सेनाओं के लिए एक कठिन पोजिशन है। ऐसे में सर्दियों के मौसम में चीनी सेना PLA इस क्षेत्र पर कब्जा करने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं। वे यहां से अगले 6 महीनों के लिए पूरी तरह कट जाएंगे।'

अधिकारी ने कहा कि मई में चीनी सेना ने राज्य के 21 वर्षीय एक युवक का असपिला सेक्टर से अपहरण कर लिया था और फिर 19 दिनों के बाद उसे भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया था।

इन क्षेत्रों पर है विवाद

आपको बता दें कि अरुणाचल प्रदेश के त्वांग जिले में अन्य दो विवादित क्षेत्र तवांग-ला और यांग्त्से है। यह क्षेत्र दोनों देशों के बीच 1962 के युद्ध का केंद्र था। यह 20 अक्टूबर 1975 को तुलुंग-ला था, जहां चीनी सेनाएं पार कर गई थीं और बाद में असम राइफल्स के चार जवान मारे गए थे।

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सूत्र के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि 2016 में यांग्त्ज़ी क्षेत्र में चीनी सेना द्वारा हमला करने की सूचना मिली थी, लेकिन वहां कोई कब्जा नहीं था। दिबांग घाटी जिले में फिशटेल 1 और अंजाव जिले में फिशटेल 2 संवेदनशील क्षेत्रों में प्रमुख हैं। इन दो क्षेत्रों को 1960 के दशक में भारत के सर्वेक्षण द्वारा तैयार किए गए नक्शे में शामिल नहीं किया गया था। जबकि ये तथ्य ज्ञात था कि ये दोनों क्षेत्र भारत के नियंत्रण में थे। चीनी सेना ने 1962 में इन दोनों इलाकों पर कब्जा कर लिया और बाद में एकतरफा युद्ध विराम के बाद अपने देश में शामिल कर लिया।

अन्य दो संवेदनशील क्षेत्र तवांग जिले में थाग-ला और अंजाव जिले के डिचू (किबिटू) हैं। थग-ला रिज 1962 में युद्ध के केंद्र में से एक था। भारत ने दिबांग घाटी में अपनी विशेष बल की इकाइयां तैनात की हैं और वालोंग, अलो, टुटिंग, पासीघाट और विजयनगर में अत्याधुनिक उन्नत और सक्रिय लैंडिंग ग्राउंड तैयार किए हैं।