गुजरात: अहमदाबाद के कोविद-19 अस्पताल में आग, 8 की मौत, सीएम तलब की रिपोर्ट
42 लाख का फटका
महाराष्ट्र सरकार की तरफ से कहा गया कि ज्यादातर ट्रेनों में बेहद कम यात्रियों ने सफर किया। यही वजह है कि सरकार को 42 लाख का फटका लगा है। इसी बीच प्रवासी मजदूरों के मुद्दे को लेकर सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन की ओर से हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका की हुई थी। जिस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा है कि इस पर कुल कितने खर्च हुए हैं। याचिका में प्रवासी मजदूरों के मुद्दों को उठाया गया है।
3351 लोगों ने किया सफर
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति अजय गडकरी की बेंच ने सुनवाई की। इस दौरान महाधिवक्ता आशुतोष कुम्भकोणी ने कहा कि कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों के लिए श्रमिक एक्सप्रेस शुरू की गई थी, लेकिन इन ट्रेनों में सिर्फ 3551 लोगों ने सफर किया। पुणे से रवाना हुई ट्रेन में एक दिन में सिर्फ 49 यात्री थे। खाली गई ट्रेनों के चलते सरकार को 42 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि अब बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर वापस अपने गांव से काम के लिए महाराष्ट्र आ रहे हैं।
COVID-19 cases in India पहुंचे 19 लाख पार, पहली बार एक दिन में रिकवर्ड केस का Record
कई राज्यों में इंतजार
अधिवक्ता रोनिता भट्टाचार्य ने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार व पश्चिम बंगाल के मजदूर गांव जाने के लिए अभी भी ट्रेन के इंतजार में हैं। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता उन मजदूरों की संख्या का पता लगाए जो गांव जाने के इच्छुक हैं। मजदूर जिस राज्य में जाना चाहते है क्या उन्हें वहां जाने दिया जा रहा है। अदालत ने राज्य सरकार को इस मामले को लेकर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई दो सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी।