
Indian scientists developed early cancer detection technology
नई दिल्ली। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी की वजह से हर साल हजारों की संख्या में दुनियाभर में लोगों की मौत होती है। अभी तक कैंसर के उपचार को लेकर एक दम सटीक इलाज की खोज नहीं हो पाई है, लेकिन मेडिकल साइंस के पास जो भी उपचार उपलब्ध है उससे काफी कैंसर के मरीज ठीक हो जाते हैं। अब भारतीय वैज्ञानिकों को कैंसर के उपचार को लेकर एक बड़ी सफलता मिली है।
भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम का दावा है कि उन्होंने कैंसर के शुरुआती निदान (उपचार) के लिए एक खास तकनीक की खोज की है। उन्होंने कैंस के शुरुआती निदान में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस खोज से कैंसर के शुरुआती चरण में ही एक साधारण खून की जांच से बीमारी का पता चल जाएगा। इसकी कारगरता यानी प्रभाविकता करीब 100 फीसदी है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस तकनीक का अभी सिर्फ एक हजार लोगों पर ही क्लीनिकल ट्रायल किया गया है। इस तकनीक से जुड़ी तमाम जानकारियां स्टेम सेल रीव्यू एंड रिपोर्ट्स नामक जर्नल में में प्रकाशित हुआ है जो हाल ही में ऑनलाइन उपलब्ध हुआ है।
टीम का दावा है कि उनकी खोज खोज कोशिका जीवविज्ञान के विवादित हिस्से से संबंधित है। जानकारी के अनुसार, यदि इस खोज की वैधता शुरुआती परीक्षणों में प्रमाणित हो जाती है, तो इस खोज से बनी खून की जांच तकनीक बाजार के अरबों डॉलर के सालाना कारोबार पर कब्जा कर सकती है।
25 तरह के कैंसर की हो सकती है पहचान
वैज्ञानिकों का दावा है कि इस नई तकनीक से 25 तरह के अलग-अलग कैंसर की पहचान की जा सकती है। कई मामलों में इस तकनीक से ट्यूमर के विकसित होने से पहले ही कैंसर की पहटान कर सकती है। बता दें कि कैंसर पीड़ित मरीज के इलाज में सबसे खास और अहम बात ये होती है कि यह जितना देर से पता चलता है उसके इलाज में उतनी ही मुश्किलें आती है और मरीज के बचने की संभावना कम होती जाती है।
जानकारी के मुताबिक, इस तकनीक को मंबई की बायोटेक्नोलॉजी फर्म एपीजेनेरस बायोटेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमेटेड और सिंगापुर की जार लैब प्राइवेट लिमेटेड ने मिलकर विकसित किया है। इस नई तकनीक यानी टेस्ट का नामHrC है। HrC टेस्ट का नाम आशीष के दामाद और मुंबई पुलिस के पूर्व वरिष्ठ अफसर हिमाशू रॉय के नाम पर रखा गया है जिन्होंने कैंसर से जूझते हुए 2018 में आत्महत्या कर ली थी।
साल में एक बार टेस्ट कराने की होगी जरूरत
इस तकनीक की सबसे खास बात ये है कि इससे ये भी पता चल जाएगा कि किसी व्यक्ति को भविष्य में कैंसर होने का कितना खतरा है। जार लैब के प्रमुख कार्यकारी आशीष त्रिपाठी का कहना है कि यह कैंसर के लिए दुनिया का पहला पूर्वाभासी टेस्ट है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इसपर शोध जारी है और इसकी कल्पना की जा रही है कि साल में सिर्फ एक बार ही HrC टेस्ट कराने की जरूरत होगी या फिर स्टेज 1 या उससे पहले ही कैंसर का पता लागाया जा सके।
इसी साल आ सकती है टेस्ट किट
आपको बता दें कि इस साल सितंबर-अक्टूबर में ही भारतीय बाजार में इसकी टेस्ट किट आ सकती है। इसकी पहली लैब मुंबई में बनेगी। अमरीकन कैंसर सोसाइटी के मुताबिक, पूरी दुनिया में हर छह मौतों में एक कैंसर से होती है। पूरे विश्व में 2017 में एक करोड़ 70 लाख लोगों को कैंसर हुआ था। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंसशन एंड रिसर्च नोएडा का अनुमान है कि भारत में 22 लाख से अधिक कैंसर मरीज हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, कैंसर के शुरुआती चरण की पहचान के लिए इस टेस्ट में स्टेम सेल तकनीक का उपयोग किया गया है।
Updated on:
08 May 2021 04:09 pm
Published on:
08 May 2021 03:50 pm
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