
भारतीय वायुसेना के लापता AN-32 प्लेन का सुराग नहीं, खोज में जुटी सुखाई विमान
नई दिल्ली। लगता है Antonov AN-32 विमान भारतीय वायुसेना के लिए बड़ी परेशानी बन गया है! तभी तो बीते 5 दिन से न केवल भारतीय वायुसेना बल्कि नौसेना, थल सेना, पुलिस-सुरक्षाबल बल्कि पीएमओ के अंतर्गत आने वाले NSA और देश की शीर्ष खुफिया एजेंसी RAW का भी इस्तेमाल इस विमान को खोजने में किया जा रहा है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब AN-32 विमान लापता हुआ हो, इससे पहले भी दो बार ऐसा हो चुका है और आज तक इसका पता नहीं चल सका।
दरअसल भारतीय वायुसेना ने अपना पांचवा Antonov AN-32 सैन्य परिवहन विमान खो दिया है। दो इंजन वाला यह विमान बीते 3 जून को असम के जोरहाट से उड़ान भरने के बाद लापता हो गया है। चीन की सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश केे लिए उड़ान भरने वाले इस विमान में 13 वायुसैनिक सवार थे। यह तीसरा मौका है जब वायुसेना का AN-32 विमान लापता हो गया है और इसका कोई सुराग नहीं मिल सका।
लापता होने की पहली घटना
रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्ष 1986 में रूस से ओमान होकर भारत आने के दौरान एक AN-32 विमान अरब सागर के ऊपर गायब हो गया था। उस वक्त इन विमानों की रूस से भारत में डिलीवरी हो रही थी। उस वक्त लापता हुए इस विमान या इसमें सवार लोगों का उसके बाद कोई सुराग नहीं लग पाया। तमाम कोशिशें किए जाने के बावजूद इस विमान का पता नहीं चला।
दूसरी घटना
हाल ही में वर्ष 2016 में वायुसेना का यही AN-32 विमान चेन्नई से अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के लिए उड़ा। हालांकि, बंगाल की खाड़ी में यह विमान लापता हो गया। इस विमान में 29 लोग सवार थे। विडंबना है कि आज तक यह विमान नहीं मिल सका।
दो बार हुआ क्रैश
केवल ऐसा ही नहीं है कि यह विमान दो बार लापता ही हुआ है। दो बार ऐसा हुआ है जब यह विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इसमें सवार सभी व्यक्ति और पायलट खत्म हो गए। क्रैश की पहली घटना वर्ष 1990 में घटी जब यह विमान तंबाराम एयरफोर्स स्टेशन से तिरुवनंतपुरम जा रहा था। इस दौरान पोनमुंडी पर्वत श्रंखला में यह क्रैश हो गया था।
इसके बाद वर्ष 2009 में अरुणाचल प्रदेश के मेेचुका से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद यह क्रैश हो गया था। इसमें 13 लोग सवार थे। बताया जाता है कि सभी की मौत हो गई थी।
क्या है AN-32 विमान
यह दो टर्बोप्रॉप इंजन वाला मीडियम टैक्टिकल विमान है। ट्रांसपोर्ट के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इस विमान को रूस ने निर्मित किया था। इसमें 5 क्रू मेंबर्स और अधिकतम 39 लोगों को ले जाने की क्षमता है। इसकी अधिकतम गति 530 किलोमीटर प्रतिघंटा है और यह 6.7 टन माल ले जा सकता है।
भारत के पास मौजूद इन विमानों की संख्या 100 से ज्यादा है। लॉन्चिंग के बाद भारत इन विमान का पहला खरीदार था। इन्हें पूर्व सोवियत संघ से खरीदा गया और यूक्रेन में बनाया गया।
| AN-32 विमान की तकनीकी जानकारी | |
| लंबाई | 23.78 मीटर |
| पंखों सहित चौड़ाई | 29.20 मीटर |
| ऊंचाई | 8.75 मीटर |
| पखों का क्षेत्रफल | 75 वर्गमीटर |
| खाली वजन | 16,800 किलोग्राम |
| भार क्षमता | 6700 किलोग्राम |
| अधिकतम उड़ान भार | 27,000 किलोग्राम |
| अधिकतम रफ्तार | 530 किलोमीटर प्रतिघंटा |
| क्रूजिंग रफ्तार | 470 किलोमीटर प्रतिघंटा |
| अधिकतम उड़ान की ऊंचाई | 9,500 मीटर |
| रेंज | 2,500 किलोमीटर |
2009 में हुआ था अपग्रेड
वर्ष 2009 में क्रैश के बाद भारत ने यूक्रेन से AN-32 विमानों के काफिले को अपग्रेड करने का सौदा किया। इसके लिए 400 मिलियन अमरीकी डॉलर यूक्रेन को देने की बात तय हुई। अपग्रेड किए जाने के बाद करीब 30 साल पुराने इन विमानों की उम्र 40 वर्ष के लिए और बढ़ जाती। इसमें विमान की बेहतर उड़ान तकनीकी, आधुनिक कॉकपिट और माल लादने की क्षमता 6.7 टन से बढ़ाकर 7.5 टन किए जाने जैसी सुविधाएं शामिल थीं।
सौदा तय होने के बाद 40 विमानों को मरम्मत, अपग्रेड के लिए यूक्रेन भेजा गया। हालांकि अप्रैल 2015 में एक अविश्वसनीय घटना सामने आई जब यूक्रेन ने इनमें से 5 विमान खो दिए। जाहिरी तौर पर यह यूक्रेन की एक बड़ी गलती थी और इसे लेकर भारतीय वायुसेना के उच्चाधिकारियों ने चेतावनी दी, कि हमारे विमान ढूंढो। इसके बाद खोजबीन तेज की गई और यह विमान वहां के एक एविएशन प्लांट में मिले, जिसके बाद इन्हें भारत में वापस भेज दिया गया।
अभी लापता AN-32 नहीं हुआ था अपग्रेड
दुर्भाग्यवश बीते 3 जून को असम से उड़ा जो विमान लापता हुआ है, वो अपग्रेड नहीं हुआ था। इस बात की पूरी संभावना है कि विमान में लगे पुराने खोज और बचाव के उपकरण, आधुनिक सैटेलाइटों को विषम परिस्थितियों में दिया जाने वाला सिग्नल देने में विफल रहे हों।
Updated on:
11 Jun 2019 04:55 pm
Published on:
08 Jun 2019 07:03 pm
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