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घोड़े की एंटीबॉडी से महाराष्ट्र की कंपनी बना रही दवा, 90 घंटे में संक्रमण खत्म करने का दावा

घोड़े की एंटीबॉडी से तैयार हो रही कोरोना की दवा, सीरम इंस्टीट्यूट कर रहा मदद, जल्द ह्यूमन ट्रायल के फर्स्ट फेज के आएंगे नतीजे

Aug 11, 2021 / 04:04 pm

धीरज शर्मा

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस ( Coronavirus ) के बढ़ते खतरे के बीच खतरे से निपटने के लिए सबसे ज्यादा फोकस वैक्सीनेशन पर दिया जा रहा है। वैक्सीन को लेकर कई तरह के परीक्षण भी लगातार किए जा रहे हैं। ऐसा ही एक परीक्षण महाराष्ट्र के कोल्हापुर की आईसेरा बायोलॉजिकल ( iSera Biological ) कंपनी कर रही है।
ये कंपनी घोड़ों की एंटीबॉडी से बनाई गई कोरोनावायरस की एक नई दवा का परीक्षण कर रही है। माना जा रहा है कि यह दवा सभी परीक्षणों में सफल होती है, तो यह कोरोना के हल्के और मध्यम लक्षणों वाले मरीजों के इलाज अहम भूमिका निभाएगी।
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आईसेरा बॉयोलॉजिक अपने परीक्षण में सफल होती है तो, यह इस तरह की देश की पहली स्वदेशी दवा होगी, जिसका इस्तेमाल संक्रमण के इलाज के लिए किया जाएगा।

72 से 90 घंटे में आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती परीक्षणों में दवा की वजह से 72 से 90 घंटों के अंदर ही संक्रमितों की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव हो जा रही है।
चल रहा ह्यूमन ट्रायल का पहला चरण
आईसेरा फिलहाल इस दवा को लेकर ह्यूमन ट्रायल के पहले चरण में ही है। बताया जा रहा है कि अगस्त के अंत तक ये ट्रायल पूरा हो सकता है।
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घोड़ों की एंटीबॉडी से बनाई गई दवा
iSera Biological की कोरोना की दवा घोड़ों की एंटीबॉडी से बनाई गई है, जो कोरोना के हल्के और मध्यम लक्षणों वाले मरीजों के इलाज अहम भूमिका निभाएगी।

सीरम इंस्टीट्यूट का सहयोग
iSera Biological कंपनी ज्यादा पुरानी नहीं है। इस अभी सिर्फ चार वर्ष का ही समय हुआ है। ऐसे में इस दवा को बनाने में पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ( Serum Institute of India ) ने भी मदद की है।
दावा है कि कंपनी ने एंटीबॉडीज ( Antibodies ) का एक ऐसा कॉकटेल तैयार किया है, जो कोरोना के हल्के और मध्यम लक्षण वाले मरीजों में संक्रमण को फैलने से रोक सकता है। यही नहीं इसके साथ ही शरीर में मौजूदा वायरस को भी खत्म कर सकता है।
अभी तक ये कंपनी एंटीसीरम प्रोडक्ट यानी सांप काटने, कुत्ते के काटने और डिप्थीरिया के इलाज में कारगर दवाएं बनाती है। लेकिन सीरम की मदद से बेहतर परिणाम की उम्मीद की जा रही है।
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नतीजों का इंतजार
वहीं इस दवा को लेकर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर एनके गांगुली का कहना है कि, अब तक तो यह दवा काफी हद तक उम्मीद जगाती है, लेकिन हमें मानव परीक्षण के नतीजों का इंतजार करना चाहिए।
अगर दवा सभी मानकों पर सही साबित हुई, तो यह भारत जैसे देश में कोरोना के खिलाफ जारी जंग में काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। मुझे लगता है कि बाजार में उपलब्ध इंटरनेशनल उत्पादों के मुकाबले यह दवा सस्ती भी होगी।

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