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इसरो ने 2 साल में बनाया भगवा स्पेस शूट, 2022 में यही पहन कर अंतिरक्ष जाएंगे पहले भारतीय

2022 में जब पहली बार कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री गननयान में सवार होकर अंतरिक्ष जाएगा तो वे सफेद या नीला नहीं बल्कि भगवा स्पेस सूट पहन कर जाएगा।

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Chandra Prakash Chourasia

Sep 07, 2018

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इसरो ने 2 साल में बनाया भगवा स्पेस शूट, 2022 में यही पहन कर अंतिरक्ष जाएंगे पहले भारतीय

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2022 तक पहली बार किसी भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी में जुटा हुआ है। इसी कड़ी में इसरो ने छठवें बेंगलुरु स्पेस एक्सोपो में एक विशेष स्पेस सूट का प्रदर्शन किया है। ये वही सूट है जिसे 2022 में पहन कर पहली बार कोई भारतीय गगनयान से अंतरिक्ष की सैर पर जाएगा। खास बात ये है कि इस स्पेस सूट का रंग भगवा (नारंगी) रंग का है।

अंतरिक्ष में दिखेगा भगवा

रिपोर्ट के मुताबिक यह उस स्पेस सूट का प्रोटोटाइप है, जिसे अंतरिक्ष में होने वाले भारतीय अंतरिक्ष यानी पहनेंगे। इस खास सूट को बनाने में भारतीय वैज्ञानिकों को करीब दो साल का वक्त लगा है। पूरी तरह से स्वदेशी इस सूट को तिरूवनन्पुरम स्थित विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में बनाया गया है। अभी तक इस तरह से दो सूट को तैयार किया जा चुका है लेकिन 2022 में भारतीय गगनयान के जरिए तीन अंतरिक्षयात्रियों को अंतिरक्ष भेजने की तैयारी है, इसलिए अभी इसी तरह का एक और सूट तैयार किया जाएगा।

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पीएम ने लालकिले से किया ऐलान

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से अपने संबोधन में में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2022 तक अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में हमारा और हमारे वैज्ञानिकों का एक सपना है और मुझे यह घोषणा करने में प्रसन्नता हो रही है कि वर्ष 2022 तक 75वें स्वतंत्रता साल पर हम अंतरिक्ष में एक मानव मिशन भेजने की योजना बना रहे हैं। पीएम ने कहा कि हम वर्ष 2022 या उससे पहले अंतरिक्ष में भारतीय को पहुंचाएंगे।

गगनयान पर खर्च होंगे 10,000 करोड़ रूपए

इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि यह अभियान इसरो के मानव मिशन 2022 का हिस्सा है और अंतरिक्ष यात्री के इस प्रयाण पर 10,000 करोड़ रुपए से भी कम खर्च होगा। एजेंसी पहली बार किसी भारतीय अंतरिक्ष यात्री को सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रही है। इसरो प्रमुख ने कहा कि वह धरती से 300-400 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्षयान में रहेंगे। उन्होंने बताया कि मानव मिशन में इस्तेमाल किया जाने वाला रॉकेट जियोसिन्क्रोमस सैटेलाइट लांच व्हीकल मार्क-3 (जीएसएलवी-एमके-3) होगा। उन्होंने कहा कि मानव अंतरिक्ष अभियान के हिस्से के रूप में पहला मानवरहित उड़ान संचालित करने में अभी दो साल लगेगा। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यान में उड़ान भरने वाले अंतरिक्ष यात्री का चयन भारतीय वायुसेना द्वारा किया जाएगा और उनको स्पेसलाइट का प्रशिक्षण विदेशों में दिया जाएगा।