
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से करीब 71 दिन बाद एक बार फिर फोन की घंटियां बजने लगी हैं। पोस्टपेड मोबाइल सेवा भी शुरू कर दी गई। लेकिन इन सब सुविधाओं के शुरू होने के बाद भी लोगों को खुशी नहीं है। बल्कि उन्हें एक डर सता रहा है।
शनिवार को जब सरकार ने ऐलान किया कि 69 दिन से बंद पड़ी मोबाइल सेवाएं कश्मीर में शुरु की जाएंगी, तो लोगों ने एक राहत की सांस ली। लेकिन उनकी ये राहत चंद लम्हों में ही काफूर हो गई।
जम्मू-कश्मीर के लोगों को अब इस बात का डर सता रहा है कि फोन, मोबाइल शुरू होने के बाद सरकार उनके फोन टैप कर सकती है। उन्हें लगता है कि वे जिस किसी को भी कॉल करेंगे, सुरक्षा एजेंसियों की नजर उनके फोन पर बनी होगी।
श्रीनगर के रहने वाली आयशा के मुताबिक, मेरे लिए तो यह राहत की बात है क्योंकि अब मैं दिल्ली में पढ़ने वाले अपने बच्चों से बात कर सकती हूं, लेकिन साथ ही वह कहती हैं कि यह बातचीत बिल्कुल भी निजी नहीं रहेगी। इस बात की आशंका बनी हुई है।
आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में संचार के सभी जरियों पर 5 अगस्त के बाद से ही पाबंदी लगा दी गई थी।
हालांकि इस पाबंदी के बाद लोगों को काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ा था।
कई लोगों ने इसका विरोध भी किया था लेकिन सरकार ने इसके पीछे सुरक्षा को बड़ा कारण बताया है।
बहरहाल अब करीब 71 दिन पाबंदी हटा तो दी है लेकिन लोगों को अब इस शुरू हुई सुविधा का डर सता रहा है।
डर ये कि कहीं उनकी निजता ही खतरे में ना पड़ जाए। डर ये कि कहीं उनके फोन सरकार के साथ किसी और (आतंकी संगठनों) के निशाने पर ना आ जाएं।
गौरतलब है कि शुरुआत में तो सरकार ने सभी मोबाइल फोन सेवाएं बंद कर दी थीं, लेकिन कुछ दिन बाद कुछ बड़े पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के फोन चालू कर दिए गए थे।
कुछ अफसरों ने पत्रकारों को बताया था कि उनके फोन नंबर भी ब्लॉक कर दिए गए थे क्योंकि वे कश्मीर के असली हालात के बारे में देश के दूसरे हिस्से के लोगों को जानकारी दे सकते थे।
Updated on:
14 Oct 2019 12:54 pm
Published on:
14 Oct 2019 12:49 pm
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