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जज लोया केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला- मौत की एसआईटी जांच नहीं होगी

सुप्रीम कोर्ट ने लोया केस में एसआईटी जांच की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि चारों जजों के बयानों पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है।

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Justice Loya Murder case

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने विशेष सीबीआई जज बीएच लोया की कथित रहस्यमय हालात में मौत के बहुचर्चित केस में बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि चारों जजों के बयानों पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है। चारों जज लगातार जज लोया के साथ थे। कोर्ट ने कहा कि जजों के बयानों पर शक करना न्यायपालिका की निष्ठा पर संदेह करने जैसा है। याचिका को खारिज करते हुए देश के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि लोया केस में SIT जांच नहीं होगी। इसके साथ कोर्ट ने जनहित याचिकाओं के हो रहे गलत इस्तेमाल पर भी टिप्पणी की। बता दें कि पिछले नवंबर को यह मामला उस समय सामने आया था जब एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि जज लोया की बहन ने भाई की मौत को लेकर सवाल उठाए हैं। सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत कई सीनियर पुलिस अधिकारी भी आरोपी थे।

सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला

दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय ने 16 मार्च को विशेष सीबीआई जज बीएच लोया की कथित रहस्यमय हालात में मौत की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली विभिन्न याचिकों पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड की पीठ ने मामले में सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। बता दें कि सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला, बॉम्बे अधिवक्ता संघ, पत्रकार बंधुराज सम्भाजी लोन, एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) और अन्य ने न्यायाधीश लोया की मौत की स्वतंत्र जांच करने की मांग की है।

2014 में हुइ थी जस्टिस लोया की मौत

जस्टिस लोया, सोहराबुद्दीन शेख के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह भी आरोपी थे। बाद में शाह को इस मामले में बरी कर दिया था। नवंबर 2014 में जस्टिस लोया की मौत हुई थी। महाराष्ट्र सरकार ने न्यायाधीश लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह असत्यापित मीडिया रिपोर्टों के आधार पर है, आक्षेप से प्रेरित है और इसे याजनाबद्ध तरीके से दायर किया गया है क्योंकि 'इससे एक बड़ी राजनीतिक पार्टी का पदाधिकारी जुड़ा हुआ है।'

इसलिए उठी जांच की मांग

मामले सुनवाई के दौरान बॉम्बे अधिवक्ता संघ ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि दिवंगत जज लोया के परिवार को शायद यह कहने पर मजबूर किया गया होगा कि वह इस मामले की नई जांच नहीं कराना चाहते। लेकिन इससे जुड़ी संदिग्ध परिस्थितियां इसकी एक स्वतंत्र जांच की मांग करती हैं। संघ की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने लोया की मौत से जुड़े 'बहुत सारे संयोगों' की ओर इशारा करते हुए घटनाओं के क्रम को ब्योरा दिया और कहा था कि 'जस्टिस लोया की मृत्यु संदिग्ध परिस्थितियों में हुई है।


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