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उन्होंने बताया कि विजयदशमी का यह खास कार्यक्रम संघ के लिए खासी अहमियत रखता है। इस दिन संघ सुप्रीमो राष्ट्रीय महत्व से संबंधित बड़े मुददों पर संगठन के विचार रखते हैं। आपको बता दें कि इससे पहले नागपुर स्थित संघ के तृतीय वर्ष शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हिस्सा लिया था, जिसके के चलते देश की सियासत काफी गर्मा गई थी। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने मुखर्जी के संघ कार्यक्रम भाग लेने की आलोचना की थी।
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विजयादशमी का अवसर पर आरएसएस के लिए काफी महत्व रखता है। संघ के इस कार्यक्रम में इससे पहले भी देश की कई बड़ी हस्तियां शिरकत कर चुकी हैं। संघ के इस कार्यक्रम पर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों की भी नजर टिकी होती है। इसका सबसे बड़ा कारण संघ प्रमुख की ओर से संगठन की राय सबके सामने रखना भी है। आपको बता दें कि कैलाश सत्यार्थी को साल 2014 में शांति का नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। कैलाश को यह पुरस्कार उनके बच्चों और बाल श्रम से मुक्ति दिलाने के लिए किए गए काम को लेकर दिया गया था।
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अब तक हजारों की संख्या में बच्चों को बाल श्रम से मुक्त करा चुके कैलाश सत्यार्थी इस बार संघ के विजयदशमी कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे। आरएसएस हर साल विजयादशमी को अपने स्थापना दिवस के रूप में मनाता है। आरएसएस की शुरुआत साल 1925 में विजयादशमी के ही दिन ही हुई थी।