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नई दिल्ली। कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए 79 वर्षीय राज्यपाल वजुभाई आर.वाला की भूमिका अहम है। यह देखना दिलचस्प होगा वह भाजपा और कांग्रेस में से किसे सरकार बनाने के लिए बुलाते हैं। गौरतलब है कि वजुभाई का इतिहास देखें तो वह नरेंद्र मोदी के करीबी रहे हैं। गुजरात सरकार में वित्त मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष रहे वजुभाई ने नरेंद्र मोदी को विधानसभा पहुंचाने के लिए खुद की सीट भी छोड़ दी थी। 2014 में कर्नाटक का राज्यपाल बनने से पहले वजुभाई लगातार सात बार चुनाव जीत चुके थे और रिकॉर्ड 18 बार गुजरात सरकार का बजट पेश किया था। आरएसएस के साथ 57 वर्षों तक जुड़े रहने वाले वजुभाई जनसंघ के संस्थापकों में से एक हैं। इमर्जेंसी के दौरान वह 11 महीने तक जेल में भी रहे हैं।
पीएम के वजुभाई से रिश्ते काफी मजबूत
वजुभाई और मोदी के बीच गहरे रिश्ते रहे हैं। मोदी के लिए वजुभाई ने अपनी सीट खाली कर दी थी, जिससे जनवरी 2002 में उपचुनाव हो सके। उस समय मोदी गुजरात से अपना पहला चुनाव लड़ने जा रहे थे। राजकोट (2) सीट जो पटेलों का गढ़ थी, वहां से उन्होंने मोदी की बड़ी जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। हालांकि अगले विधानसभा चुनावों में मोदी ने मणिनगर से चुनाव लड़ा और वाला को वापस अपनी सीट मिल गई थी।
जोड़तोड़ की राजनीति शुरू
कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए जोड़तोड़ की राजनीति शुरू हो गई है। यहां किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। गौरतलब है कि कर्नाटक चुनाव में भाजपा के पास 104 सीटें हैं, वहीं कांग्रेस और जेडीएस को मिलाकर 116 सीटें हैं। बहुमत के लिए 112 का आकड़ा होना चाहिए। कांग्रेस और जेडीएस मिलकर जहां बहुमत में हैं, वहीं भाजपा को आठ सीटों की दरकार है।
Published on:
16 May 2018 11:49 am
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