
Karnataka Health Minister Dr K Sudhakar Says DRDO developed 2-DG drug could be game-changer
नई दिल्ली। देश में कोरोना के खिलाफ लड़ाई को तेज करने के लिए जोरों-शोरों के साथ टीकाकरण को आगे बढ़ाया जा रहा है। वहीं तमाम देशों की ओर से विकसित की गई वैक्सीन को तय मापदंड का पालन करते हुए मंजूरी दी जा रही है।
वहीं, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए एक दवाई 2-DG विकसित कई गई है। इस दवा को कोरोना के खिलाफ बहुत ही कारगर माना जा रहा है। कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. के सुधाकर ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित 2-DG दवा COVID के खिलाफ लड़ाई में गेम-चेंजर हो सकती है।
सुधाकर ने एक बयान में कहा, "डीआरडीओ द्वारा विकसित 2-डीजी दवा एक बड़ी सफलता है और महामारी के खिलाफ लड़ाई में एक गेम-चेंजर हो सकती है क्योंकि इससे अस्पताल में भर्ती मरीजों की तेजी से रिकवरी होती है और ऑक्सीजन निर्भरता कम होती है।"
डॉ. सुधाकर ने डीआरडीओ परिसर का किया दौरा
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. सुधाकर ने डीआरडीओ परिसर का दौरा किया और वैज्ञानिकों की टीम से मुलाकात कर जायजा लिया। उन्होंने वैज्ञानिकों से मिलकर महामारी से निपटने के लिए उपाय खोजने को लेकर चल रहे प्रयासों के बारे में जानकारी ली।
एक बयान में 2-डीजी (2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज), दवा के एक एंटी-सीओवीआईडी-19 चिकित्सीय अनुप्रयोग के बारे में कहा गया है कि इसे इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलाइड साइंसेज (INMAS) द्वारा विकसित किया गया है। हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज (डीआरएल) के सहयोग से रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इसे बनाया है।
क्लिनिकल परीक्षण के परिणामों से पता चला है कि इस दवा से अस्पतालों में भर्ती मरीजों को ठीक करने में काफी मदद करता है और मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता को कम कर देता है।
पिछले सप्ताह मिली है आपातकाली इस्तेमाल की मंजूरी
आपको बता दें कि पिछले सप्ताह (8 मई) को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई के लिए विकसित दवा को DGCI ने आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। बता दें कि डॉक्टर रेड्डी लैब और डीआरडीओ लैब इंस्टीट्यूट ने मिलकर 2-डीजी दवा को बनाया है।
यह कैसे काम करता है?
जानकारी के अनुसार, इस दवा के जरिए मध्यम व गंभीर लक्षण वाले कोरोना मरीजों का इलाज हो सकेगा। डीआरडीओ के अनुसार इसमें सामान्य अणु और ग्लूकोज का एनालॉग है, जिसकी वजह से इसका उत्पादन सरलता से किया जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, जब दवा, 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) शरीर में प्रवेश करती है, तो यह वायरस द्वारा संक्रमित कोशिकाओं के अंदर जमा हो जाती है। एक बार वहां यह वायरस के ऊर्जा उत्पादन और चयापचय प्रतिक्रिया को रोकता है और इसे बढ़ने से रोकता है। DRDO का कहना है कि केवल वायरल संक्रमित कोशिकाओं में चयनात्मक संचय इसे अद्वितीय बनाता है।
इसका सेवन कैसे किया जाता है?
DRDO के अनुसार, य दवा पाउडर के रूप में आती है और इसे पानी में घोलकर मौखिक रूप से लेना पड़ता है।
क्या यह गेम-चेंजर साबित होगा?
देश में अभी दो स्वदेशी वैक्सीन (कोविशील्ड और कोवैक्सीन) का टीका लगाया जा रहा है। वहीं अब DRDO की दवा आने के बाद ये माना जा रहा है कि यह गेम चेंजर साबित हो सकता है, क्योंकि यह पाउडर के रुप में उपलब्ध है।
जानकारी के अनुसार, इस दवा के सेवन से मेडिकल ऑक्सीजन पर मरीजों की निर्भरता को कम कर सकती है। अस्पताल के परीक्षणों में यह पाया गया कि 42 फीसदी मरीजों, जिन्हें प्रतिदिन दवा के दो पाउच दिए गए थे, तीसरे दिन तक ऑक्सीजन सपोर्ट बंद हो गया। मानक उपचार के तहत केवल 3 फीसदी मरीजों में ही 30 फीसदी ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ी।
Updated on:
14 May 2021 10:45 pm
Published on:
14 May 2021 10:38 pm
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