आत्मा को मुक्ति दिलाने वाला ‘हंस कुंड’ आपदा में गायब हुए हंस कुंड के संबंध में कई अद्भुत जानकारियां सामने आई हैं। केदारखंड के कहा गया है कि यहां ब्रह्मा जी ने हंस का रूप धारण किया था। इस स्थान पर पितृों का तर्पण और अस्थि विसर्जन किया जाता है। इस स्थान के संबंध में एक खास मान्यता है कि यहां पितृ तर्पण, अस्थि विसर्जन, और मृत व्यक्ति की जीवनकुंडली विसर्जित करने से जीवात्मा को मुक्ति मिल जाती है। यह कुंड केदारनाथ मंदिर के दाईं दिशा में करीब 100 मीटर दूर स्थित है।
चमत्कारी ‘रेतस कुंड’ की कहानी मंदिर से करीब 500 मीटर दूर सरस्वती नदी के किनारे स्थित रेतस कुंड की एक खास विशेषता कि जब भी यहां ओम नमः शिवाय का मंत्र पढ़ा जाता था यहां के पानी में अचानक बुलबुला उठने लगता था। लेकिन आपदा के बाद से ही इस प्रसिद्ध कुंड के दर्शन नहीं हो पा रहे हैं। यहां की एक और पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि यहां पर कामदेव के भस्म होने पर देवि रति ने विलाप करते हुए आंसू बहाया था।
मंदिर के ठीक सामने था हवन कुंड रेतस और हंस कुंड की तरह ही हवन कुंड का भी अपना महत्व है। यह कुंड मुख्य मंदिर के ठीक सामने ही था, लेकिन तबाही के चलते कहीं खो गया और अब तक इसका पता नहीं चल पाया है। इस कुंड के संबंध में ही कई पौराणिक मान्यताएं हैं।