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केरल में आई बाढ़ पर अब सियासत का जख्म, राहत राशि को लेकर केंद्र और राज्य में ठनी

केरल में आई बाढ़ से प्रभावित लोग अब झेल रहे सियासत का जख्म, विदेशी राहत राशि को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बयानबाजी शुरू

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केरल में आई बाढ़ पर अब सिसायसत का जख्म, राहत राशि को लेकर केंद्र और राज्य में ठनी

नई दिल्ली। बाढ़ की तबाही से जूझ रहे केरलवासियों को इन दिनों बाढ़ की मार के साथ-साथ सियासत की मार भी झेलना पड़ रही है। दरअसल बाढ़ की राहत राशि को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच तनातनी चल रही है। एक तरफ केंद्र सरकार ने बाढ़ प्रभावितों के लिए विदेश से मिलने वाली राहत राशि लेने से इनकार कर दिया है तो दूसरी तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री का कहना है कि हजारों करोड़ के नुकसान और लोगों की जिंदगी पटरी पर लाने के लिए राशि लेने पर दोबारा विचार किया जाए। ऐसे में अब केंद्र और राज्य के बीच बाढ़ प्रभावित झूल रहे हैं।

नीति का हवाला
केरल में बाढ़ से आई आपदा के लिए देशभर से राज्य को मदद भेजी जा रही है। विदेश से भी केरल के लिए मदद भेजने की पेशकश हुई थी लेकिन केंद्र सरकार ने उस सहायता को लेने से इनकार कर दिया है। बता दें कि इस इंकार के पीछे का कारण 15 सालों से देश की नीति है कि घरेलू आपदाओं से सरकार स्व-संसाधनों से निपटती है और विदेश से किसी प्रकार की सहायता नहीं लेती। केंद्र ने प्रदेश सरकार से भी विदेश से मदद न लेने को कहा है। आपको बता दें कि संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने केरल बाढ़ राहत अभियान के लिए करीब ७०० करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता देने की पेशकश की थी।

दोबारा विचार करे केंद्र
राजनीतिक दलों के नेताओं ने केंद्र सरकार से प्रदेश में राहत कार्य के लिए विदेशी सहायत स्वीकार करने पर दोबारा विचार करने को कहा है। भारत की ओर से विदेशी सहायता स्वीकार करने से मना कर देने पर राज्य के राजनीतिक दलों के नेता नाखुश हैं और उनका कहना है कि केंद्र सरकार अपने फैसले पर दोबारा विचार करे। प्रदेश में सत्ताधारी मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और विपक्षी दल कांग्रेस ने केंद्र के रुख पर नाराजगी जाहिर की है। पूर्व रक्षामंत्री ए. के. एंटनी ने कहा कि विदेशी दान स्वीकार करने के लिए नियमों में परिवर्तन किया जाना चाहिए।

केंद्र की ओर से विदेशी मदद स्वीकार करने से मना करने की रिपोर्ट के बाद यह मसला गंभीर हो गया है, क्योंकि पूर्व की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने ही राष्ट्रीय आपदाओं से निपटने में देश को सक्षम बताते हुए विदेशी सहायता नहीं लेने का फैसला लिया था और मौजूदा सरकार भी उस रुख पर कायम है।

इसलिए यूएई ने की थी मदद की पेशकश
संयुक्त अरब अमीरात में करीब 30 लाख भारतीय रहते और वहां काम करते हैं जिनमें से 80 फीसदी केरल के हैं। मालदीव की सरकार ने भी केरल के बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए 35 लाख रुपए दान देने का फैसला किया है। शायद इसलिए यूएई मदद के लिए आगे आया।