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Kerala High Court का बड़ा फैसला, मुस्लिमों को 80 और ईसाइयों को 20 फीसदी स्कॉलरशिप आरक्षण वाले आदेश को किया रद्द

Kerala High Court ने सरकार के मुस्लिमों और ईसाइयों को छात्रवृत्ति में दिए जा रहे आरक्षण वाले आदेश को किया रद्द

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Kerala High Court

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नई दिल्ली। केरल हाईकोर्ट ( Kerala High Court ) ने प्रदेश के मुस्लिम ( Muslim ) और लैटिन कैथोलिक/धर्मांतरित ईसाइयों के आरक्षण वाले आदेश को रद्द कर दिया है। इस आदेश के मुताबिक मुस्लिम और लैटिन कैथोलिक/धर्मांतरित ईसाइयों को 80:20 के अनुपात में छात्रवृत्ति ( Scholership ) देने की घोषणा की गई गई थी।

जस्टिस शाजी पी चाली और चीफ जस्टिस मणिकुमार की पीठ ने आदेश को रद्द करते हुए कहा कि, यह आदेश कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं है।

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ये था केरल हाईकोर्ट का तर्क
केरल हाईकोर्ट ने छात्रवृत्ति में आरक्षण के आदेश के रद्द करने के पीछे जो तर्क दिया उसके मुताबिक ये आदेश कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं था। इसके साथ ही हाई कोर्ट का कहना था कि राज्य में अधिसूचित सभी अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को योग्यता-सह-साधन ( Merit-cum-Means ) स्कॉलरशिप मिले।

हाईकोर्ट ने सरकार को दिया ये निर्देश
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि, राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पास उपलब्ध नवीनतम जनसंख्या जनगणना के मुताबिक, प्रदेश के अंदर अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को समान रूप से योग्यता-सह-साधन छात्रवृत्ति दी जाए। इसको लेकर सरकार जरूरी और उचित सरकारी आदेश पारित करे।

याचिका में सरकार पर लगा था ये आरोप
आपको बता दें कि इस बारे में वकील जस्टिन पल्लीवाथुकल की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकार राज्य में अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों के मुकाबले मुस्लिम समुदाय को अनुचित तरजीह दे रही है।

इस मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना कि राज्य सरकार की ओर से समुदाय के कमजोर वर्गों को सुविधाएं प्रदान करने में कुछ गलत नहीं है।

लेकिन जब अधिसूचित अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार करने की बात आती है, तो उन्हें उनके साथ समान व्यवहार करना होगा।

कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा है कि प्रदेश सरकार को अल्पसंख्यकों के साथ पक्षपात करने का कोई अधिकार नहीं था। लेकिन यह एक ऐसा मामला है, जिसमें प्रदेश के भीतर ईसाई अल्पसंख्यक समुदाय के जनसंख्या अनुपात से उपलब्ध अधिकार को ध्यान में रखे बिना, राज्य मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय को 80 फीसद छात्रवृत्ति प्रदान कर रहा है। जो असंवैधानिक है।

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ये है पूरा मामला
दरअसल ये पूरा विवाद राज्य सरकार की ओर से अल्पसंख्यक समुदायों के लिए छात्रवृत्ति योजना घोषणा करने के संबंध में है। योजना की घोषणा 11 सदस्यीय समिति की ओर से प्रस्तुत प्रस्तावों के मुताबिक की गई थी।

इस समिति को केरल में जस्टिस राजिंदर सच्चर समिति की सिफारिशों को लागू करने का काम सौंपा गया था। यह सच्चर समिति भारत में मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक स्थिति पर रिपोर्ट करने के लिए गठित एक उच्च स्तरीय समिति थी।