क्या किसान आंदोलन में हिंसा भड़कने का खतरा? पुलिस कमिश्रर ने लिया सुरक्षा व्यवस्था का जायजा
गौरतलब है कि कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन का आज 31वां दिन है। बावजूद इसके स्थिति जस की तस बनी हुई है। सिंघु बोर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की हुई बैठक में सरकार के नाम एक पत्र भी लिखा गया, जिसमें कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की गई। पत्र में संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि 24 दिसंबर को केंद्रीय कृषि मंत्रालय पत्र मिला। अफसोस की बात है कि इस पत्र में केंद्र सरकार और किसानों के बीच हुई पिछली बैठकों की जानकारी छिपाई गई। जो देश को गुमराह करने वाली है। मोर्चा की ओर से कहा गया कि हमनें हर बैठक में कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग की है। लेकिन आप के पत्र में कहा जाता है कि सरकार किसानों की मांग सम्मानजनक तरीके से सुनना चाहती है। अगर आप सचमुच ऐसा चाहते हैं तो पहले किसानों की ओर से उठाए जा रहे मुद्दों को लेकर देश की जनता का भ्रमित न करें।
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किसान मोर्चा ने कहा कि अगर सरकार किसानों से जुड़े हर मुद्दे पर बातचीत करने को तैयार है तो 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे एक बैठक बुलाई जाए, जिसमें केंद्र सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच बातचीत हो।