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Solar Eclips 2020: जानें क्या होता है वलयाकार सूर्यग्रहण, इससे पहले कब-कब लगा था

जानें क्या होता है Annular solar eclipse साल के सबसे बड़ा दिन पड़ रहा है सबसे बड़ा Solar Eclips 2020 सुनहरे कंगन की तरह लुभायेगा Sun

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Annular solar Eclips 2020

Annular solar Eclips 2020

नई दिल्ली। साल के सबसे बड़े दिन यानी 21 जून को वलयाकार सूर्यग्रहण ( Annular solar eclipse ) पड़ने जा रहा है। इसे भारत सहित अफ्रीका, एशिया और यूरोप के कुछ भागों में देखा जा सकेगा। यह ग्रहण साल का पहला सूर्य ग्रहण ( Solar eclipse in india ) होगा। खास बात यह है कि भारत में उत्तराखंड के देहरादून, राजस्थान के घड़साना और सूरतगढ़, हरियाणा के सिरसा और टिहरी में वलयाकार जबकि देश के बाकी हिस्सों में आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।

सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा (अमावस्या के चरण में) सूरज की आंशिक या पूरी रोशनी को रोक लेता है और उसी हिसाब से आंशिक, वलयाकार और पूर्ण सूर्यग्रहण होता है।

वलयाकार सूर्य ग्रहण
सूर्य ग्रहण तीन तरह का होता है। पूर्ण, वलयाकार और आंशिक सूर्य ग्रहण। सबसे पहले वयलाकार सूर्यग्रहण के बारे में जान लेते हैं।

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वलयाकार सूर्य ग्रहण- वलयाकार सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य का करीब 99 प्रतिशत भाग ढक लेता है और सूर्य का कुछ बाहरी हिस्सा ही दिखाई देता है। इसमें सूर्य का बाहरी हिस्सा गोलाई में एक चमकदार कंगन की तरह दिखाई देता है और बीच के हिस्सा में छाया रहती है। इसे ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।

यह सूर्यग्रहण वलयाकार रूप में प्रातः 10 बजकर 25 मिनट से शुरू होगा। यह अपराह्न 12 बजकर 8 मिनट पर शीर्ष पर होगा और एक बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगा।

पूर्ण सूर्य ग्रहण- जब चंद्रमा पूरी तरह से सूरज को ढ़क लेता है तब पृथ्वी पर अंधेरा छा जाता है। इस स्थिति में ग्रहण को पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है।

आंशिक सूर्य ग्रहण- जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह नहीं ढ़क पाता तो इसे खंडग्रास या आंशिक सूर्य ग्रहण कहा जाता है।

वलयाकार सूर्य ग्रहण देखने का सही तरीका
वलयाकार सूर्य ग्रहण देखने का सबसे सुरक्षित तरीका पिनहोल कैमरे से स्क्रीन पर प्रोजेक्शन या टेलिस्कोप है। ग्रहण देखने के लिए और आंखों को किसी भी नुकसान से बचाने के लिए ग्रहण देखने वाले चश्मों (आईएसओ प्रमाणित) या उचित फिल्टर्स के साथ कैमरे का इस्तेमाल करें।

इसमें यह भी कहा गया है कि नंगी आंखों से सूरज को न देखें, ग्रहण देखन के लिए एक्स-रे फिल्म्स या सामान्य चश्मों (यूवी सुरक्षा वाले भी नहीं) का इस्तेमाल न करें। इसके अलावा ग्रहण देखने के लिए पेंट किए ग्लास का भी इस्तेमाल न करें।

1965 और 2010 में दिखा था वयलाकार सूर्यग्रहण
इससे पहले 15 जनवरी 2010 का सूर्य ग्रहण एक वलयाकार या कंकणाकार सूर्य ग्रहण था। वलयाकार सूर्यग्रहण में चंद्रमा के बाहरी किनारे पर सूर्य मुद्रिका यानी वलय की तरह काफी चमकदार नजर आता है।

यह ग्रहण भारतीय समयानुसार 11 बजकर 06 मिनट पर आरंभ हुआ और यह दोपहर 3 बजे के बाद तक चालू रहा। वैज्ञानिकों के मुताबिक दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर सूर्य ग्रहण अपने चरम पर था। भारत के अलावा सूर्यग्रहण अफ्रीका, हिन्द महासागर, मालदीव, श्रीलंका और दक्षिण पूर्व एशिया में दिखाई दिया।

इससे पहले वलयाकार सूर्यग्रहण 22 नवम्बर 1965 को दिखाई पड़ा था और इसके बाद अगला वलयाकार सूर्यग्रहण 21 जून 2020 को आया है। वैज्ञानिकों के अनुसार इतनी लंबी अवधि का सूर्यग्रहण इसके बाद वर्ष 3043 से पहले नहीं दिखाई पड़ेगा।