
भारत के खिलाफ China पूर्वी लद्दाख सीमा पर अपनी हरकतों से बाज आने को तैयार नहीं है।
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी, पैंगॉन्ग त्सो, डीओबी व अन्य क्षेत्रों में तनाव के बीच भारत और चीन ( India and China )के वार्ताकार शांति पूर्ण समाधान निकालने की कोशिश में जुटे हैं। लेकिन जमीनी हकीकत ( Ground reality )यह है कि एलएसी पर तनाव पहले की तरह बरकरार है। बहुत जल्द विवाद समाधान की उम्मीद नहीं है।
इस बात को ध्यान में रखते हुए चीनी सैन्य जमावड़े, टैंक, फाइटर प्लेन, मिसाइल व अन्य युद्धक सामग्री के बदले भारत ने भी सीमा पर अपनी साइड से टैंक, पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों और क्षेत्र में हॉवित्जर समर्थित हजारों अतिरिक्त सैनिकों की तैनात कर दी है। साथ ही सुखोई -30 एमकेआई और मिग-29 ( Sukhoi-30 MKI and MiG-29 ) जैसे आईएएफ के फाइटर जेट ( IAF fighter Plane ) नियमित रूप से सीमा पर आसमान में गश्त कर रहे हैं। सेना के सूत्रों के मुताबिक भारत चीन को हर हमले का जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
इसके बावजूद पैंगोंग त्सो और गालवान घाटी क्षेत्रों में जमीन पर चल रहे तनाव के कारण आमने-सामने की लड़ाई को खारिज नहीं किया जा सकता। हालांकि प्रतिद्वंद्वी सेना एक-दूसरे से स्टैंड-ऑफ ( Standoff ) दूरियां बनाए हुए है।
भारत ने सीमा पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। भारत की तैयारियों को देखते हुए इस बात की उम्मीद है कि चीन को कोई भी बड़ा सैन्य कदम उठाने से पहले 100 बार सोचेगा। भारतीय सेना को फोकस दौलत बेग ओल्डी-डेपसांग सेक्टर ( Daulat Baig Oldi-Depsang Sector ) पर है।
बता दें कि हाल ही में सेना प्रमुख एमएम नरवणे ( Army Chief MM Narwane ) ने हाल में पूर्वी लद्दाख में फॉरवर्ड इलाकों में तैयारियों का जायजा लिया था। माना जा रहा है कि उन्होंने गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ( Defence Minister Rajnath Singh ) और पीएम नरेंद्र मोदी( PM Narendra Modi ) को सेना की तैयारियों की जानकारी दी।
भारत ने झोंकी पूरी ताकत
भारत सेना ( Indian Army ) ने पूर्वी लद्दाख में हजारों अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की है। साथ ही वहां भारी संख्या में टैंक, इंफैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स और हॉवित्जर तोपों को भी तैनात किया गया है। एयरफोर्स को भी अलर्ट पर रखा गया है। सुखोई-30 एमकेआई और मिग-29 लगातार सीमा पर चीन की हरकतों पर नजर बनाए हुए हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक फॉरवर्ड इलाकों में हम बेहतर स्थिति में हैं। वहां अहम ठिकानों पर अतिरिक्त सैनिकों और हथियारों को तैनात किया गया है। लेकिन एलएसी पर खासकर गलवान घाटी ( Galwan Valley ) और पैंगोंग सो इलाकों में तनातनी और झड़पों से इनकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि वहां लगातार तनाव बना हुआ है।
चीन ने पीपी-14 पर ठोका दावा
चीन पूरी आक्रामकता के साथ गलवान घाटी में पेट्रोलिंग पॉइंट 14 ( PP-14 ) पर अपना दावा कर रहा है। इसी जगह 15 जून की रात दोनों सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी। पीएलए की मांग है कि भारतीय सैनिकों को श्योक और गलवान नदी के संगम को पार नहीं करना चाहिए।
डोकलाम से भी लंबा खिंच सकता है तनाव
जानकारी के मुताबिक ग्राउंड पर दोनों सेनाएं पहले की तरह आमने-सामने डटी हैं। केवल कुछ वाहनों को आगे पीछे किया गया है। इस स्थिति को सुलझने में कई महीने लग सकते हैं। यह स्थिति अक्टूबर तक बनी रह सकती है। हम वेट एंड वॉच मोड में हैं। इस बात की भी आशंका जताई गई है कि यह तनाव डोकलाम ( Doklam ) से भी लंबा खिंच सकता है।
ऐसा इसलिए कि भारतीय पक्ष को इस बात की आशंका है कि चीन एलएसी की स्थिति बदलने की हरकत कर सकता है। इसके लिए उसे ज्यादा तैयारी करनी होगी क्योंकि भारत ने अपनी तैयारी बढ़ा दी है। ग्राउंड पर अभी चीन के ऐसी कोई तैयारी नहीं दिख रही है।
डीओबी-डेपसांग सेक्टर पर सेना की नजर
भारतीय सेना का फोकस दौलत बेग ओल्डी-डेपसांग सेक्टर ( Daulat Beg Oldi-Depsang Sector )पर है। वहां भारत ने अपनी तैनाती बढ़ाई है। एक इंफ्रैंटी डिवीजन (10 से 12 हजार सैनिक) ऊंचाई वाले स्थानों पर चीन के सैनिकों से लोहा लेने को तैयार है। साथ ही चीनी सेना को आगे बढ़ने से रोकने के लिए वहां एम-77 अल्ट्रालाइट हॉवित्जर तोपों को भी तैनात किया गया है।
Updated on:
27 Jun 2020 10:26 am
Published on:
27 Jun 2020 10:24 am
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