
नई दिल्ली . दुश्मन के ड्रोन को हवा में ही खाक करने में सक्षम हाई पावर लेजर बीम तकनीक से भारतीय सेना भी लैस होगी। हाल ही में डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन ने इसका पहला सफल परीक्षण किया। इसके तहत एक ट्रक पर लेजर सिस्टम के द्वारा 36 सेकेंड में 250 मीटर दूर लक्ष्य पर सटीक निशाना साधा गया। अगस्त में हुए इस परीक्षण के दौरान रक्षा मंत्री भी मौजूद थे। इसके साथ ही, भारत लेजर हथियार विकसित कर रहे देशों के टॉप क्लब में शामिल हो गया है।
अभी सिर्फ अमरीका, रूस व चीन के पास ही यह तकनीक उपलब्ध है। अमरीकी वायुसेना साल 2023 तक इसके प्रोटोटाइप को एएफएसओसी एसी-130 गनशिप पर तैनात करने की तैयारी में है।
1 केवी गन का परीक्षण
मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक डीआरडीओ ने कर्नाटक के चित्रदुर्ग में इस हथियार का सफल टेस्ट किया है। एक ट्रक पर तैनात 1 किलोवाट के लेजर सिस्टम से निशाना साधा गया।
2 केवी गन से 1 किमी दूर निशाने की तैयारी
डीआरडीओ की अगली तैयारी 2 किलोवाट के लेजर सिस्टम से 1 किमी दूर तक के निशाने पर है। फिलहाल डीआरडीओ के दो केंद्र इसपर काम कर रहे हैं। लेजर के स्रोत के रूप में काम करने वाली हर्ट ऑफ द सिस्टम जर्मनी से आयात किया गया है।
बिना आवाज, प्रकाश से तेज
- इन हथियारों की मदद से प्रकाश की गति से पूरी ऐक्यूरेसी के साथ टारगेट को निशाना बनाया जा सकता है।
- एक साथ कई टारगेट को मार गिराया जा सकता है।
- बिना आवाज और दुश्मन की जद में नहीं आने वाला हथियार।
- मिसाइल के मुकाबले लागत कम
- अगर पावर की सप्लाई बाधित नहीं हो तो इसे कितने भी समय तक इस्तेमाल हो सकता है।
ये सब जद में
- मिसाइल और अन्य प्रोजेक्टाइल्स में यूज होने वाले पारंपरिक हथियार दुश्मन के ठिकानों को तबाह करने के लिए केनेटिक/केमिकल एनर्जी का इस्तेमाल करते हैं।
- डीईडब्ल्यू टारगेट को निशाना बनाने के लिए कॉन्सनट्रेटेड इलेक्ट्रॉनिक मैग्नेटिक एनर्जी के बीम्स (प्रकाश की किरणों) का इस्तेमाल करता है।
- लेजर वेपन से मिसाइल गिराने में 500 किलोवॉट बीम की जरूरत।
- इससे कम पावर के लेजर से ड्रोन्स, व्हीकल्स और बोट्स इत्यादि को मार गिराया जा सकता है।
Published on:
08 Dec 2017 11:17 am
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