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‘एक देश, एक चुनाव’ को विधि आयोग का समर्थन, कहा- 2019 में 12 राज्यों के चुनाव भी सकते हैं साथ

विधि आयोग ने सरकार को अपनी मसौदा रिपोर्ट में एक साथ चुनाव कराए जाने के मुद्दे का समर्थन किया और संविधान में संशोधन करने की सलाह दी है।

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Kapil Tiwari

Aug 30, 2018

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नई दिल्ली। देश के अंदर लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराए जाने का मुद्दा अभी तक ठंडे बस्ते में नहीं गया है। दोनों चुनाव एक साथ कराए जाने को लेकर विधि आयोग का समर्थन सरकार को मिलता दिख रहा है। दरअसल, बुधवार को विधि आयोग ने सरकार को अपनी मसौदा रिपोर्ट में एक साथ चुनाव कराए जाने के मुद्दे का समर्थन किया और संविधान में संशोधन करने की सलाह दी है।

ये है विधि आयोग का फॉर्मूला
अपनी रिपोर्ट में विधि आयोग ने कहा है कि 12 राज्यों और एक केंद्र शाषित प्रदेश का चुनाव 2019 के लोकसभा चुनाव के साथ कराया जा सकता है और इसके लिए किसी तरह के संवैधानिक संशोधन की भी जरूरत नहीं होगी। वहीं 2021 के अंत तक 16 राज्यों और पुडुचेरी के चुनाव आयोजित किए जा सकते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप भविष्य में चुनाव पांच साल की अवधि में केवल दो बार चुनाव होगा।

संविधान के मौजूदा प्रावधानों से एक चुनाव संभव नहीं- विधि आयोग
विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि संविधान के मौजूदा प्रावधानों में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराना संभव नहीं है और इस तथ्य से विधि आयोग अच्छी तरह से अवगत है, लेकिन अगर ऐसा करना है तो संविधान और अन्य कानूनों में संशोधन करना होगा।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कर दिया था संभावनाओं को खारिज
आपको बता दें कि 'एक देश, एक चुनाव' की केंद्र सरकार की योजना को हाल ही में बड़ा झटका तब लगा था, जब मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने ऐसी संभावनाओं को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि भविष्य में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने का कोई चांस नहीं है। मोदी सरकार देश में एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन कर रही है, जिसके पीछे तर्क है कि इससे देश के नागरिकों पर चुनावी खर्चों का अतिरिक्त भार कम होगा और बार-बार चुनाव कराने के लिए संसाधनों के इस्तेमाल की बचत होगी।