
गुजरात तट को छू कर निकलेगा ‘वायु’ चक्रवात, सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए गए 2 लाख लोग
नई दिल्ली। अरब सागर की ओर से आए चक्रवाती तूफान 'वायु' के दिशा बदलने की खबरों के बाद भी अभी खतरा टला नहीं है। हालांकि यह तूफान केवल मानसून में देरी करने के अलावा उत्तर भारत के लिए कोई खतरा नहीं बनेगा। वहीं, चक्रवाती तूफान 'वायु' से संभावित नुकसान को लेकर सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर अनुमान लगाने का काम जारी है। मौसम वैज्ञानिकों की माने तो चक्रवाती तूफान 'वायु' से बड़े पैमाने पर नुकसान की संभावना बहुत कम है।
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक मानसून के दौरान ऐसे चक्रवाती तूफानों से अक्सर नुकसान ही होता है। पूर्व में भी जब बंगाल की खाड़ी से तूफान आया था तो उसके बाद मानसून की प्रगति 10 दिन रुक गई थी। इस बार तूफान अरब सागर की तरफ से आया है। इसलिए वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका उतना दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि यह असर जरूर डालेगा।
उत्तर भारत में बढ़ सकता है मानसून का इंतजार
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि तकरीबन 10 दिन की देरी से चल रहे मानसून पर 'वायु' तूफान का बुरा असर पड़ सकता है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक तूफान से कुछ राज्यों में अगले दो से तीन दिन भले ही अच्छी बारिश हो लेकिन इसके दुष्प्रभाव से उत्तर भारत में मानसून का इंतजार बढ़ सकता है।
मौसम विभाग के डीजी डॉक्टर केजे रमेश ने कहा कि इसका मानसून पर कोई अनुकूल या प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना बहुत कम है। इसके पीछे उनका यह तर्क है कि मानसून अभी केरल और तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में है और तूफान वायु गुजरात की तरफ है।
अगर यह तूफान केरल और तमिलनाडु के तटों की तरफ से आता तो इससे मानसून को आगे बढ़ने में मदद मिल सकती थी। लेकिन तूफान और मानसून के बीच काफी दूरी है। इसलिए तूफान के गुजर जाने के बाद हवाओं की ऊर्जा नष्ट होने के कारण उस क्षेत्र में नया सिस्टम बनने में कई दिन लग सकते हैं। इस दौरान मानसून जहां का तहां अटका रहा सकता है। ऐसा हुआ तो उत्तर भारत के किसानों को मॉनसून आने का इंतजार करना पड़ सकता है।
बारिश से फायदा
मौसम विज्ञानी डॉ. रंजीत सिंह का कहना है कि तूफान के दौरान गुजरात, राजस्थान और आसपास के इलाकों में दो-तीन दिनों तक अच्छी बारिश हो सकती है। इससे दो फायदे होंगे।
एक तो इन क्षेत्रों में बारिश से किसानों की खेती को फायदा होगा, लेकिन बुवाई के लायक बारिश नहीं होगी। बुवाई के लिए किसानों को आगे भी बारिश की जरूरत पड़ेगी।
दूसरा राजस्थान की तरफ से आने वाली गर्म हवाओं का प्रकोप कम होगा। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि चूंकि तूफान से होने वाली बारिश को मानसूनी बारिश में दर्ज किया जाता है इसलिए बारिश में कमी के मौजूदा आंकड़ों में सुधार भी नजर आएगा।
महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में आंशिक असर
फिलहाल चक्रवाती तूफान का असर गुजरात के साथ महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में आंशिक रूप से देखने को मिल रहा है। मुंबई में आज सुबह तेज हवाओं के कारण कुछ स्थानों पर पेड़ उखड़ने की सूचना है।
मुंबई मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि चक्रवात की वजह से उत्तर महाराष्ट्र के तट पर तेज हवाएं चलेंगी। मुंबई में हाई टाइड का खतरा है। यही कारण है कि मुंबई सहित महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में हाई टाइड का अलर्ट घोषित कर दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक मुंबई में करीब 3.83 मीटर ऊंची लहरें उठ सकती हैं। माहिम बीच सहित कोंकण क्षेत्र के बीच इससे प्रभावित हो सकते हैं।
सरकार ने सतर्कता के लिहाज से कोंकण क्षेत्र के सभी बीच को बंद कर दिया है। महाराष्ट्र सरकार ने बयान जारी कर कहा है कि उच्च ज्वार के साथ अरब सागर से उठे चक्रवात वायु को देखते हुए अगले दो दिनों के लिए जनता के लिए कोंकण क्षेत्र के सभी समुद्र तट, पालघर, ठाणे, मुंबई, रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग बंद रखने का निर्देश दिया गया है।
ONGC ने पश्चिमी तट के संयंत्रों को किया अलर्ट
चक्रवात वायु के संभावित नुकसान के मद्देनजर सरकारी कंपनी ओएनजीसी ने पश्चिमी तट पर स्थित अपने सभी संयंत्रों के लिए हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। कंपनी ने हेलिकॉप्टरों की उड़ान पर भी रोक लगा दी है। कंपनी ने मुंबई और गुजरात के हाजरा में आपातकालीन नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किए हैं।
फानी तकनीक हो सकता है मददगार
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि फानी तूफान के दौरान ओडिशा में अपनाई गई आपदा प्रबंधन तकनीक से नुकसान कम हुआ था। गुजरात चक्रवाती तूफान 'वायु' से निपटने में भी इस तकनीक का लाभ उठाया जा सकता है।
बता दें कि ओडिशा सरकार ने गुजरात को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया है। इस बात को ध्यान में रखते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने प्रदेश के अधिकारियों को ओडिशा सरकार के अधिकारियों से संपर्क में लगातार बने रहने को कहा है।
Updated on:
13 Jun 2019 09:08 pm
Published on:
13 Jun 2019 03:21 pm
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