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लॉकडाउन में देश के 40 मिलिनय आंतरिक प्रवासी हुए प्रभावित, विश्व बैंक की रिपोर्ट में दावा

Corona संकट के बीच World Bank का दावा Lockdown से 40 मिलियन आंतरिक प्रवासी प्रभावित

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Lockdown

लॉकडाउन से प्रभावित 40 मिलियन आंतरिक प्रवासी

नई दिल्ली। देशभर में कोरोना वायरस ( Coronavirus in india ) का असर लगातार बढ़ रहा है। देश में अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 20 हजार के पार पहुंच चुकी है। यही वजह है कि लॉकडाउन ( Lockdown ) की अवधि को भी 3 मई ( 3 May ) तक बढ़ाया जा चुका है। लेकिन इस लॉकडाउन का सीधा असर देश के आंतरिक प्रवासियों पर पड़ा है।

विश्व बैक ( World Bank ) की ताजा रिपोर्ट तो यही कह रही है कि लॉकडाउन ने देश के 40 फीसदी आंतरिक प्रवासियों ( Internal Migrant )को प्रभावित किया है। इस लॉकडाउन के चलते देश के 40 मिलियन आंतरिक प्रवासी बेहाल हैं।

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विश्व बैंक ने कहा है कि भारत में एक महीने पहले शुरू हुई देशव्यापी तालाबंदी ने लगभग 40 मिलियन आंतरिक प्रवासियों को प्रभावित किया है।

बैंक ने एक रिपोर्ट में कहा, भारत में लॉकडाउन ने देश के लगभग 40 मिलियन आंतरिक प्रवासियों के एक बड़े हिस्से की आजीविका को प्रभावित किया है।
कुछ दिनों के अंतराल में शहरी केंद्रों से लगभग 50 से 60 हजार प्रवासी ग्रामीण क्षेत्रों में चले गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 क्राइसिस थ्रू ए माइग्रेशन लेंस, आंतरिक प्रवास का परिमाण अंतररार्ष्ट्रीय प्रवास का लगभग ढाई गुना है।

लॉकडाउन से बढ़ी बेरोजगारी और सामाजिक हानि
लॉकडाउन की वजह से रोजगार की हानि तो हुई ही है साथ ही सामाजिक गड़बड़ी ने भारत और लैटिन अमरीका के कई देशों में आंतरिक प्रवासियों के लिए बड़े पैमाने पर वापसी की एक अराजक और दर्दनाक प्रक्रिया को भी प्रेरित किया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि Covid-19 के रोकथाम उपायों ने महामारी फैलाने में योगदान दिया है।

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आंतरिक प्रवासियों की चुनौतियों के समाधान की जरूरत
सरकारों को स्वास्थ्य सेवाओं और नकदी हस्तांतरण और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल करके और उन्हें भेदभाव से बचाने के लिए आंतरिक प्रवासियों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने की जरूरत है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोनोवायरस संकट से पहले, इस क्षेत्र से प्रवासी लोग मजबूत थे।
भारत और पाकिस्तान से मुख्य रूप से कम कुशल प्रवासियों की संख्या 2020 में पहले वर्ष के सापेक्ष बढ़ी, लेकिन 2020 में खाड़ी देशों में महामारी और तेल की कीमत में गिरावट के कारण कमी की उम्मीद है।