नए कृषि सुधार कानूनों के विरोध में किसानों का धरना-प्रदर्शन जारी है आंदोलन की आग अब हरियाणा, पंजाब निकलकर पूरे देश में फैल चुकी है
नई दिल्ली। नए कृषि सुधार कानूनों ( New Farm Laws ) के विरोध में किसानों का धरना-प्रदर्शन ( Farmer Protest ) जारी है। कानूनों के विरोध में जहां किसान गाजीपुर बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर और टीकरी बॉर्डर समेत राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के प्रवेश मार्गों पर प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं आंदोलन की आग अब हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से निकलकर पूरे देश में फैल चुकी है। इस बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ( Lok Sabha speaker Om Birla ) ने संसद भवन ( Parliament House ) स्थित अपने चेंबर में खाद्य सचिव और भारतीय खाद्य निगम के अधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठक ली। बैठक में लोकसभा स्पीकर ने राजस्थान के किसानों की गेंहू खरीदारी को लेकर चर्चा की। बैठक में ओम बिरला ने कहा कि राजस्थान में इस बार अधिक से अधिक गेंहू सरकारी खरीद केंद्रों पर ही होना चाहिए।
न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान का भी पूरा ध्यान
स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि किसानों को ट्रांसपोर्टेशन की समस्या का सामना न करना पड़े, इसलिए उनके माल की तलाई तुरंत की जानी चाहिए। इसके साथ ही किसानों को फसलों का तत्काल नकद भुगतान भी किया जाना चाहिए। ओम बिरला ने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी इस बात से अवगत करा दिया गया है कि इस बार किसानों को गेंहू की बिक्री में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। किसानों की फसलों की बिक्री के समय न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान का भी पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए। खाद्य निगम के अधिकारियों की बैठक में स्पीकर बिरला ने कहा कि हमारा मानना है कि इस बार किसानों का सरकारी दुकानों और मंडियों में एमएसपी पर फसल बेचने में कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्या का समाधान मेरी जिम्मेदारी है।
किसानों के आंदोलन को पूरे 100 दिन हो गए
आपको बता दें कि नए कृषि कानून के विरोध में चल रहे किसानों के आंदोलन को पूरे 100 दिन हो गए हैं। किसानों ने सरकार को दो अक्टूबर तक धरने पर बने रहने का अल्टीमेटम दिया है। किसान नेताओं की मांग है कि कानूनों को वापस लिया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर एक नया कानून बनाया जाए। वहीं, सरकार ने किसानों की मांग पर कानूनों में आवश्यक संशोधन करने की बात कही है। सरकार ने कहा है कि कानूनों को वापस नहीं किया जाता है, लेकिन उनमें जरूरी संशोधन जरूर किए जा सकते हैं। इसको लेकर सरकार और किसान नेताओं के बीच 11 दौर की वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकल पाया है।