
करुणानिधि का शौक नहीं मजबूरी था काला चश्मा, जो बन गया सिग्नेचर स्टाइल
नई दिल्ली। भारतीय राजनीति के सबसे उम्रदराज और अपने 80 साल की राजनीतिक जीवन में कभी चुनाव नहीं हारने वाले मुथुवेल करुणानिधि ने 8 अगस्त की शाम 6:10 बजे दुनिया को अलविदा कह दिया। तमिल फिल्मों में पटकथा लेखन से अपने करियर की शुरूआत करने वाले एम करुणानिधि पांच बार तामिलनाडु के मुख्यमंत्री रह चुके थे। गले में पीली शॉल और आंखों पर काला चश्मा करुणानिधि का सिग्नेचर स्टाइल बन चुका था। उनके काले चश्मे के पीछे का राज बहुत कम ही लोग जानते हैं। तो आइए आपको बताते हैं करुणानिधि क्यों हर वक्त काला चश्मा पहनते थे।
46 साल पहनते रहे काला चश्मा
बताया जाता है कि 1960 में करुणानिधि का एक्सीडेंट हो गया था, जिसमें उनकी बाईं आंख बुरी तरह जख्मी हो गई। जिसके इलाज के लिए उन्हें अमरीका के हॉपकिंग्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। कुछ दिनों इलाज के बाद डॉक्टरों ने उनकी आंख का ऑपरेशन किया। इसके बाद 46 साल तक उन्होंने अपनी आंखों पर काला चश्मा लगाए रखा। पिछले ही साल डॉक्टरों की सलाह पर उन्होंने काला चश्मा लगाना छोड़ा था।
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करुणानिधि को पसंद आया जर्मनी का चश्मा
करुणानिधि ने बेशक काला चश्मा लगाना छोड़ दिया लेकिन इसके बदले उनके लिए कुछ इम्पोर्टेड चश्में मंगवाए गए लेकिन ये चश्मे टिंटेड (रंगे हुए शीशे) वाले थे। जो करुणानिधि को भाया नहीं और उन्होंने पहनने से इनकार कर दिया। बताया जाता है कि इसके बाद करीब 40 दिनों तक उनको तरह तरह के चश्मे दिखाए गए, तब जाकर उन्होंने अपने लिए जर्मनी से लाया गया चश्मा पसंद किया।
यूरिन इंफेक्शन की वजह से 11 दिन से अस्पताल में थे करुणानिधि
डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि पिछले 11 दिनों से चेन्नई के कावेरी अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें यूरिन इंफेक्शन की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके पार्थिव शरीर चेन्नई के कावेरी अस्पताल से उनके गृह नगर गोपालापुरम ले जाया जाएगा। इसके बाद पार्थिव शरीर को लोगों के दर्शन के लिए राजाजी हाल में रखा जाएगा। द्रमुक के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि योजना के मुताबिक, करुणानिधि का अंतिम संस्कार बुधवार को होगा।
Published on:
07 Aug 2018 09:38 pm
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