
मद्रास हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, हम खुद जयललिता के स्मारक के खिलाफ
नई दिल्ली। मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह निजी तौर पर मरीना तट पर बन रहे पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता के स्मारक के निर्माण के खिलाफ है। कोर्ट ने कहा इसके बावजूद द्रविड़ मुनेत्र कड़गम की याचिका पर फैसला कानून के मुताबिक ही होगा। मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी के अध्यक्षता वाली प्रथम पीठ ने तमिलनाडु सरकार को मरीना तट पर जयललिता का स्मारक बनाने से रोकने संबंधी याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि वह निजी तौर पर तटीय नियामक क्षेत्र में इसके निर्माण के खिलाफ हैं।
जज ने कहा- मैं खुद स्मारक के खिलाफ
न्यायमूर्ति बनर्जी ने कहा कि मेरा निजी विचार है कि मरीना में तटीय नियामक क्षेत्र में स्मारक का निर्माण नहीं किया जाना चाहिए। यह एक लंबी तटीय रेखा है और इसकी रक्षा करना हर किसी का दायित्व है। उन्होंने कहा कि मेरे निजी विचार न्याय के समान हो ऐसा जरूरी नहीं है। इस संबंध में फैसला दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कानून के आधार पर किया जाएगा।
स्मारक बनाने का विरोध
मुख्य विपक्षी पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने जयललिता का स्मारक बनाने का विरोध कर रही है। नेता प्रतिपक्ष एम. के. स्टालिन ने कहा कि आय से अधिक संपत्ति मामले में जयललिता आरोपी थीं और ऐसे लोगों के स्मारक का निर्माण लोकतंत्र के खिलाफ है। पीएमके के संस्थापक एस.रामादॉस ने कहा कि यह निर्माण भ्रष्टाचार की गवाही दे रहा है।
50 करोड़ की लागत से बन रहा स्मारक
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ई के पलानीस्वामी और उप मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने हाल ही में इस स्मारक की आधारशिला रखी है। 50 करोड़ की लागत से बनने वाले इस स्मारक का निर्माण मरीना बीच फ्रंट के समीप पूर्व मुख्यमंत्री एम.जी. रामचंद्रन के स्मारक के पास किया जाएगा, जहां उन्हें दफनाया गया था। जलललिता का निधन 5 दिसंबर 2016 को हुआ था। फीनिक्स के आकार के समान प्रस्तावित स्मारक की आधारशिला रखने से पहले विशेष प्रार्थना का आयोजन किया गया था
Published on:
18 Jun 2018 07:11 pm
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