9 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

महावीर जयंती 2021 : कौन थे भगवान महावीर, जानिए उनके जीवन से जुड़ी खास बातें

गवान महावीर को वीर, वर्धमान, अतिवीर और सन्मति के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने अपने जीवन में तप और साधना से नए प्रतिमान स्थापति किए।

2 min read
Google source verification
Mahavir Jayanti 2021

Mahavir Jayanti 2021

नई दिल्ली। हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान महावीर स्वामी की जन्म जंयती मनाई जाती है। इस बार यह तिथि 25 अप्रैल रविवार को है। भगवान महावीर को जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर के रूप में पूजा जाता है। इस लिए दिन भगवान महावीर की शोभा यात्रा निकाली जाती है। जिसमें जैन धर्म के अनुयायी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। लेकिन इस बार कोरोना के कारण अपने घर पर ही पूजा कर पाएंगे। भगवान महावीर को वीर, वर्धमान, अतिवीर और सन्मति के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने अपने जीवन में तप और साधना से नए प्रतिमान स्थापति किए। महावीर जयंती 2021 के मौके पर आइए जानते है उनके जीवन से जुड़ी खास बातें।

कौन थे भगवान महावीरः-
भगवान महावीर का जन्म बिहार के कुण्डग्राम में ईसा से 599 वर्ष पहले चैत्र शुक्ल की त्रयोदशी के दिन हुआ था। महावीर जी का जन्म एक राज परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम राजा सिद्धार्थ और माता रानी त्रिशला था। भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था। माना जाता है कि उन्होंने 12 वर्षों की कठोर तप कर अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ली थी। इसलिए उन्हें महावीर के नाम से पुकारा गया। उनका जन्म एक राजसी परिवार में हुआ था। लेकिन फिर भी दुनिया को ज्ञान देने के लिए वह एक संत बन गए।

यह भी पढ़ें :— महावीर जयंती 2021 : इन 5 सिद्धांतों पर टिका था स्वामी महावीर का जीवन, जानिए धार्मिक महत्व

विवाह :-
भगवान महावीर की शादी यशोधरा नाम की लड़की के साथ हुआ था। इनसे एक पुत्री हुई जिसका पुत्री प्रियदर्शना भी थी। बहुत सुंदर थी। उनके विवाह को लेकर श्वेताम्बर सम्प्रदाय के लोग मानते हैं कि उनका विवाह यशोद्धरा से हुआ। लेकिन दिगंबर सम्प्रदाय के लोग मानते हैं कि उनका विवाह नही हुआ।

30 वर्ष की उम्र में छोड़ा घरः-
भगवान महावीर 30 साल की उम्र में ही राजमहल के वैभवपूर्ण जीवन का परित्याग कर दिया था। इसके बाद वह ज्ञान और साधना की राह पर चले पड़े।
एक अशोक के वृक्ष के नीचे बैठकर वे ध्यान लगाया करते थे। उन्‍होंने अपने कठोर तप से सभी इच्छाओं और विकारों पर काबू पा लिया। तब वह वर्धमान से भगवान महावीर कहलाने लगे। उन्‍होंने अपना पूरा जीवन जन कल्‍याण को समर्पित कर द‍िया। उन्‍होंने समाज में व्‍याप्‍त कुरूतियों और अंधव‍िश्‍वासों को दूर किया।

पांच सिद्धांतः-
भगवान महावीर ने मोक्ष की प्राप्ति के बाद पांच सिद्धांतों के बारे में बताया। उन्होंने खुद उसका पालन किया और उनके जाने के बाद उनके अनुयायी महावीर के पांच सिद्धांत लोगों तक पहुंचा रहे हैं। उन्होंने अपने प्रत्‍येक अनुयायी के लिए अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के पांच व्रतों का पालन करना आवश्यक बताया है। इन सभी व्रतों में अहिंसा की भावना सम्मिलित है। इसी कारण जैन विद्वानों का प्रमुख उपदेश होता है अहिंसा ही परम धर्म है अहिंसा ही परम ब्रह्म है। अहिंसा ही सुख शांति देने वाली है।

24 वें तीर्थंकरः-
करीब साढ़े 12 साल की साधना के बाद उन्हें सच्चे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसके बाद महावीर स्वामी जैन धर्म के 24 वें और अंतिम तीर्थकर बने। महावीर जी ने जैन धर्म की खोज के साथ जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांतों की रचना की। महावीर जी ने अलग- अलग स्थानों में जाकर जैन धर्म का प्रचार किया। उन्होंने लोगों को सही मार्ग दिखाकर अच्छा जीवन जीने की प्रेरणा दी।


बड़ी खबरें

View All

विविध भारत

ट्रेंडिंग