
अनोखी आरटीआईः MCI से युवक ने पूछा- 'मेरा ब्लड ग्रुप बताओ'
नई दिल्ली। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत एक शख्स ने अनोखा आवेदन किया है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को मिले इस अनोखे आवेदन में व्यक्ति ने अपने ब्लड ग्रुप की जानकारी मांगी है। दरअसल अलग-अलग जांच रिपोर्ट्स में उसके खून का पैटर्न अलग अलग-बताया गया था। जानकारी मांगने वाले शख्स ने अलग-अलग सरकारी अस्पतालों और प्राइवेट लैब्स की वो रिपोर्ट्स भी भेजी हैं, जिनमें एक ही शख्स के खून के संबंध में बिल्कुल अलग-अलग जानकारियां दी गई हैं। यह आरटीआई राहुल चित्र नाम के एक युवक ने दाखिल की है।
...क्या है राहुल की रिपोर्ट में
काउंसिल को जो रिपोर्ट्स भेजी गईं उनमें कुछ में राहुल के खून का आरएच फैक्टर पॉजिटिव है, जब कुछ में आरएच फैक्टर निगेटिव दिखाया गया। आरएच लाल रक्त ज्यादातर लोगों में आरएच पॉजिटिव पाया जाता है। मेडिकल काउंसिल ने पहले राहुल की याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद राहुल ने सूचना आयोग में बात की। उन्होंने आयोग को बताया कि उन्होंने चार अलग-अलग पैथोलॉजी लैब्स में खून की जांच कराई। उन्हें अलग-अलग बार उन्हें बी पॉजिटिव और बी निगेटिव ग्रुप में रखा गया। इसके बाद दिल्ली के पंत हॉस्पिटल में उनका ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव बताया गया।
एम्स पहुंचा मामला, आयोग ने खारिज की काउंसिल की बात
राहुल ने सूचना आयुक्त यशवर्धन आजाद से कहा कि यदि किसी आपातकालीन परिस्थिति में मुझे खून की जरूरत लगी तो मुझे कौन-सा ब्लड ग्रुप मदद करेगा? सूचना आयुक्त ने माना कि मामला गंभीर है और सवाल सीधे जिंदगी से जुड़ा है। इसके साथ ही सूचना आयोग ने मेडिकल काउंसिल की उस दलील को भी खारिज कर दिया जिसमें इस तरह की जानकारी को सूचना का अधिकार कानून के दायरे से बाहर रखने की बात कही गई थी। इसके साथ ही उन्होंने यह मामला एम्स के निदेशक को भेजा।
। यह आरटीआई राहुल चित्र नाम के एक युवक ने दाखिल की है।
...क्या है राहुल की रिपोर्ट में
काउंसिल को जो रिपोर्ट्स भेजी गईं उनमें कुछ में राहुल के खून का आरएच फैक्टर पॉजिटिव है, जब कुछ में आरएच फैक्टर निगेटिव दिखाया गया। आरएच लाल रक्त ज्यादातर लोगों में आरएच पॉजिटिव पाया जाता है। मेडिकल काउंसिल ने पहले राहुल की याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद राहुल ने सूचना आयोग में बात की। उन्होंने आयोग को बताया कि उन्होंने चार अलग-अलग पैथोलॉजी लैब्स में खून की जांच कराई। उन्हें अलग-अलग बार उन्हें बी पॉजिटिव और बी निगेटिव ग्रुप में रखा गया। इसके बाद दिल्ली के पंत हॉस्पिटल में उनका ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव बताया गया।
एम्स पहुंचा मामला, आयोग ने खारिज की काउंसिल की बात
राहुल ने सूचना आयुक्त यशवर्धन आजाद से कहा कि यदि किसी आपातकालीन परिस्थिति में मुझे खून की जरूरत लगी तो मुझे कौन-सा ब्लड ग्रुप मदद करेगा? सूचना आयुक्त ने माना कि मामला गंभीर है और सवाल सीधे जिंदगी से जुड़ा है। इसके साथ ही सूचना आयोग ने मेडिकल काउंसिल की उस दलील को भी खारिज कर दिया जिसमें इस तरह की जानकारी को सूचना का अधिकार कानून के दायरे से बाहर रखने की बात कही गई थी। इसके साथ ही उन्होंने यह मामला एम्स के निदेशक को भेजा।
Published on:
23 May 2018 05:31 am
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